बिहार चाहता है केंद्र सरकार बांग्लादेश को गंगा नदी का पानी देने पर करे पुनर्विचार, राज्य में बढ़ती जा रही है गाद की समस्या

By एस पी सिन्हा | Updated: January 19, 2025 17:08 IST2025-01-19T17:08:16+5:302025-01-19T17:08:22+5:30

बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि हम लोग आरंभ से 1996 के समझौते की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। हमारा मानना है कि इस समझौते को अंतिम रूप देने से पहले हमारी राय नहीं ली गई थी। समझौते में बिहार की अपेक्षा की गई विरोध का बड़ा कारण फरक्का बराज भी है। इस मामले में उन सभी राज्यों की हिस्सेदारी तय होना चाहिए जहां से गंगा बहती है। 

Bihar wants the central government to reconsider giving Ganga river water to Bangladesh | बिहार चाहता है केंद्र सरकार बांग्लादेश को गंगा नदी का पानी देने पर करे पुनर्विचार, राज्य में बढ़ती जा रही है गाद की समस्या

बिहार चाहता है केंद्र सरकार बांग्लादेश को गंगा नदी का पानी देने पर करे पुनर्विचार, राज्य में बढ़ती जा रही है गाद की समस्या

पटना:बांग्लादेश और भारत के बीच जारी तनाव के बीच बिहार सरकार पानी को लेकर नई पहल की है। बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश को गंगा नदी से पानी देने पर नए सिरे से विचार करने का अनुरोध किया है। बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि हम लोग आरंभ से 1996 के समझौते की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। हमारा मानना है कि इस समझौते को अंतिम रूप देने से पहले हमारी राय नहीं ली गई थी। समझौते में बिहार की अपेक्षा की गई विरोध का बड़ा कारण फरक्का बराज भी है। इस मामले में उन सभी राज्यों की हिस्सेदारी तय होना चाहिए जहां से गंगा बहती है। 

विजय चौधरी ने कहा कि फरक्का बराज के कारण संपूर्ण बिहार में गाद की समस्या बढ़ती जा रही है। गंगा गाद से भर रही है या यूं कहिए कि एक तरह से गंगा मर रही है। इससे बाढ़ की स्थिति भी विकराल हो रही है। चूंकि समझौते की समीक्षा का समय आ गया है, इसलिए हम लोग चाहते हैं कि बिहार की आवश्यकताओं और गाद की समस्या को देखते हुए समझौते पर पुनर्विचार किया जाए। 

उन्होंने कहा कि इसके कारण गंगा के प्रवाह समेत इसके जलीय जीव जंतुओं पर जो दुष्प्रभाव पड़ा है और पारिस्थितिकी संतुलन में बदलाव और बिगड़ाव जो हुआ है। इन सब का अध्ययन किया जाए। विजय चौधरी ने कहा कि बिहार और बिहार के लोगों की चिंताओं का निराकरण कर ही समझौते का नवीनीकरण हो। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं अपनी इन चिताओं से प्रधानमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को समय-समय पर अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार का पक्ष यह भी है कि बांग्लादेश को गंगाजल की अधिकांश मात्रा बिहार देता है। जबकि गंगा नदी के किनारे वाले राज्य अपने यहां बेधड़क उसके पानी का उपयोग कर रहे हैं। वहां बिजली परियोजनाएं बनीं हैं, बराज बने हैं। 

यही नहीं सिंचाई के लिए भी गंगाजल का उपयोग कर रहे हैं। जबकि बिहार को हर कार्य के लिए केंद्र से अनुमति लेनी पड़ती है। विजय चौधरी ने कहा कि बिहार का मानना है कि बांग्लादेश जाने वाले गंगा जल का कोटा बिहार के साथ-साथ यूपी उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के लिए भी समान रूप से तय हो। 

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश को गंगा नदी से मिलने वाले पानी का अधिकतर भाग की आपूर्ति बिहार से बिहार के हिस्से से होती है। इस कारण बिहार में ही जल संकट की स्थिति आ जाती है। दरअसल, भारत और बांग्लादेश के बीच जो समझौते हुए हैं, उसके तहत गंगा के पानी का बंटवारा 70 हजार क्यूसेक पानी में 35 हजार क्यूसेक भारत को रहेगा। 

जबकि 35 हजार क्यूसेक बांग्लादेश को जाएगा। अगर यह मात्रा 70 से 75 हजार क्यूसेक है तो शेष जो प्रवाह है वह भारत के पास रहेगा। बाकी 35 हजार कि उसे बांग्लादेश के पास 75 हजार क्यूसेक से अधिक होने पर 40 हजार क्यूसेक भारत के पास रहेगा और शेष प्रवाह बांग्लादेश को जाएगा। 

अब भारत बांग्लादेश जल संधि का नवीनीकरण (रिन्यूअल) होना है। वर्ष 1996 में भारत के प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच गंगाजल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था।

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