किशनगंज में हर 100 लोगों पर 126 आधार कार्ड जारी?, मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान सामने आया चौंकाने वाला डेटा, देखिए कटिहार, अररिया और पूर्णिया का हाल

By एस पी सिन्हा | Updated: July 11, 2025 15:27 IST2025-07-11T15:25:57+5:302025-07-11T15:27:05+5:30

Bihar voter verification: कटिहार (44 फीसदी मुस्लिम आबादी, 123 फीसदी आधार), अररिया (43 फीसदी, 123 फीसदी) और पूर्णिया (38 फीसदी, 121 फीसदी) जैसे अन्य जिलों में भी देखने को मिल रहे हैं। 

Bihar voter verification 126 Aadhar cards issued every 100 people in Kishanganj Shocking data revealed see condition Katihar, Araria and Purnia | किशनगंज में हर 100 लोगों पर 126 आधार कार्ड जारी?, मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान सामने आया चौंकाने वाला डेटा, देखिए कटिहार, अररिया और पूर्णिया का हाल

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Highlights68 फीसदी मुस्लिम आबादी, लेकिन आधार सैचुरेशन 126 फीसदी है। कुल जनसंख्या की तुलना में कितने प्रतिशत लोगों ने आधार बनवा लिया है। 100 फीसदी से अधिक हो जाता है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान चौंकाने वाला डेटा सामने आया है। इन आंकड़ों ने न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकता से जुड़ी चिंताओं को भी हवा दे दी है। जहां पूरे बिहार की औसत आधार सैचुरेशन दर 94 फीसदी है। वहीं सबसे हैरान करने वाला आंकड़ा मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले से सामने आया है, जहां 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है, लेकिन आधार सैचुरेशन 126 फीसदी है। अर्थात वहां हर 100 लोगों पर 126 आधार कार्ड जारी हुए हैं। यही हालात कटिहार (44 फीसदी मुस्लिम आबादी, 123 फीसदी आधार), अररिया (43 फीसदी, 123 फीसदी) और पूर्णिया (38 फीसदी, 121 फीसदी) जैसे अन्य जिलों में भी देखने को मिल रहे हैं।

आधार सैचुरेशन का तात्पर्य यह है कि किसी क्षेत्र की कुल जनसंख्या की तुलना में कितने प्रतिशत लोगों ने आधार बनवा लिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि इन जिलों में वास्तविक जनसंख्या से कहीं अधिक आधार कार्ड बनाए गए हैं। सामान्यतः यह आंकड़ा 100फीसदी के आसपास होना चाहिए, लेकिन जब यह 100 फीसदी से अधिक हो जाता है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि ये अतिरिक्त आधार कार्ड किसके लिए बनाए गए हैं और क्यों? ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार में घुसपैठिये किस कदर पैर जमा चुके हैं। यह डेटा गंभीर चिंताओं का कारण बन गया है। सवाल यह है कि क्या यह अवैध घुसपैठ का संकेत है? पूर्वोत्तर सीमाओं से सटे इन जिलों में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ की आशंकाएं पहले से ही जताई जाती रही हैं।

इतनी अधिक संख्या में अतिरिक्त आधार कार्डों का जारी होना इन संदेहों को मजबूत करता है। किसके नाम पर ये अतिरिक्त आधार बनाए जा रहे हैं? बिना दस्तावेजों के विदेशी नागरिकों को यदि अवैध रूप से आधार कार्ड दिए गए हैं, तो यह न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया बल्कि सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का भी बड़ा खतरा है।

किशनगंज में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए असामान्य रूप से बढ़े आवेदनों को लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घुसपैठ का मुद्दा उठाया है। उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जनवरी से मई तक किशनगंज में हर महीने 26,000-28,000 आवेदन आते थे, लेकिन छह दिन में ही 1,27,000 आवेदन आ गए, जो चौंकाने वाला है।

सम्राट चौधरी ने इसे घुसपैठियों की मौजूदगी का संकेत बताया। किशनगंज में आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आए आवेदनों की संख्या चौंकाने वाली है। उन्होंने बताया कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, जमीन के कागजात या एससी/एसटी प्रमाण पत्र बनाने में समय लगता है, लेकिन आवासीय प्रमाण पत्र तुरंत बन जाता है।

सम्राट चौधरी ने दावा किया कि यह स्थिति बिहार में घुसपैठियों की मौजूदगी को बताती है, खासकर सीमांचल क्षेत्र में। बता दें कि बिहार में मौजूद 7,89,69,844 मतदाताओं में से 4.96 करोड़ मतदाता जिनके पास 1.1.2003 को मतदाता सूची के पिछले गहन पुनरीक्षण में पहले से है, बस उसका सत्यापन करना है। बिहार में 5,74,07,022 रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर इसका एसएमएस भेजा जा रहा है।

चुनाव आयोग के लिए 11 दस्तावेजों में से एक को प्राप्त करने की असली चुनौती सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जिलों में है, जहां लोगों के पास उचित दस्तावेज नहीं थे और वे आवासीय प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए ब्लॉक कार्यालयों में लंबी कतारों में खड़े देखे गए। अकेले किशनगंज जिले में इस महीने के पहले सप्ताह में ऐसे दो लाख से अधिक आवेदन जमा किए गए हैं।

क्या यही कारण है कि विपक्ष और वामपंथी लॉबी आधार को नागरिकता का प्रमाण बनाने पर जोर देते हैं? क्योंकि अगर आधार नागरिकता का प्रमाण बनता है, तो ऐसे अवैध आधार कार्डधारी भी कानूनी रूप से भारतीय नागरिक बन सकते हैं। इसबीच बिहार में मतदाता सूची के सघन सत्यापन अभियान को लेकर जारी असमंजस को दूर करते हुए चुनाव आयोग ने स्थिति स्पष्ट कर दी है।

आयोग ने बताया कि राज्य के मतदाता अपने दस्तावेज 1 सितंबर तक जमा कर सकते हैं, जबकि गणना फार्म भरकर 26 जुलाई तक सौंपने होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सशक्त लोकतंत्र के लिए शुद्ध मतदाता सूची बेहद आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि 2003 की मतदाता सूची में जिन मतदाताओं के नाम पहले से शामिल हैं, उन्हें कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। बिहार में ऐसे करीब 5 करोड़ मतदाता हैं। यानी राज्य के कुल 7.90 करोड़ मतदाताओं में से करीब तीन करोड़ को ही दस्तावेज देने होंगे।

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