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बिहार मतदाता सूचीः वोटर लिस्ट से गायब होंगे 35.5 लाख नाम?, चुनाव आयोग आंकड़ों से हड़कंप और बवाल की उम्मीद

By एस पी सिन्हा | Updated: July 15, 2025 15:51 IST

Bihar Voter List: 0.73 फीसदी फर्जी या दोहरे पंजीकरण वाले निकले हैं। अब तक कुल 83.66 फीसदी मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा कर दिया है, यानी 6.6 करोड़ से ज्यादा लोगों की जानकारी अपडेट हो चुकी है।

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ठळक मुद्दे1.59 फीसदी मतदाता मृत पाए गए हैं, जबकि 2.2 फीसदी ने स्थायी रूप से स्थान बदला है।ईसीआईनेट नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अब तक 5.74 करोड़ से ज्यादा फॉर्म अपलोड हो चुके हैं।नया सिस्टम है, जिसमें पहले की 40 अलग-अलग चुनावी ऐप्स को मिलाकर एकीकृत किया गया है।

पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें 35.5 लाख मतदाताओं का नाम काटे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों ने हड़कंप मचा दिया है। गौर करने वाली बात है कि ये संख्या कुछ और बढ़ भी सकती है क्योंकि अभी 11.82 फीसदी मतदाताओं को अपना नामांकन फॉर्म भरना बाकी है। चुनाव आयोग के अधिकारिक बयान के मुताबिक 7.89 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से 4.52 फीसदी यानी 35.5 लाख लोग या तो मर चुके हैं, या फिर बिहार छोड़कर कहीं और बस चुके हैं, या फिर एक से ज्यादा जगह पंजीकृत हैं। इनमें से 1.59 फीसदी मतदाता मृत पाए गए हैं, जबकि 2.2 फीसदी ने स्थायी रूप से स्थान बदला है।

इसके अलावा 0.73 फीसदी फर्जी या दोहरे पंजीकरण वाले निकले हैं। अब तक कुल 83.66 फीसदी मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा कर दिया है, यानी 6.6 करोड़ से ज्यादा लोगों की जानकारी अपडेट हो चुकी है। बचा है तो केवल 11.82 फीसदी का हिस्सा, जिनका या तो पता नहीं चल पाया या फिर दस्तावेज़ अधूरे हैं। ईसीआईनेट नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अब तक 5.74 करोड़ से ज्यादा फॉर्म अपलोड हो चुके हैं।

यह वही नया सिस्टम है, जिसमें पहले की 40 अलग-अलग चुनावी ऐप्स को मिलाकर एकीकृत किया गया है। अब मतदाता नाम खोजने, फॉर्म भरने और दस्तावेज सत्यापन जैसे सभी काम इसी से होंगे। अब तीसरे चरण में लगभग 1 लाख बीएलओ फिर से निकलेंगे घर-घर, और उनके साथ होंगे सभी पार्टियों के 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट, जो हर दिन औसतन 50 फॉर्म वेरीफाई कर रहे हैं।

शहरी इलाकों के 5,683 वार्डों में विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं, ताकि कोई भी योग्य मतदाता छूट न जाए। मतदाता सूची की समीक्षा के दौरान मृत मतदाताओं, डुप्लीकेट मतदाताओं और स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम कटने और नए मतदाताओं के नाम जुड़ने की प्रक्रिया नई नहीं है।

लेकिन बिहार के एसआईआर पर जिस तरह से विपक्ष ने सवाल उठाया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है, उससे एक बात साफ है कि भले ही सही मतदाताओं के नाम ही मतदाता सूची से कटा हो, लेकिन विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा सत्तापक्ष और चुनाव आयोग के खिलाफ बनाएगा। विपक्ष लगातार चुनाव आयोग के मतदाता सूची पुनरीक्षण के फैसले को लेकर सत्ता पक्ष पर हमलावर है।

इसी बीच बिहार सरकार ने इसके लिए 51 करोड़ 68 लाख की राशि स्वीकृत कर दी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में विभिन्न विभागों से जुड़े 30 अहम प्रस्तावों पर सरकार ने अपनी स्वीकृति दे दी। इस दौरान सरकार के निर्वाचन विभाग के प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति देते हुए एसआईआर के लिए 51 करोड़ 68 लाख की राशि को मंजूरी दे दी।

इस राशि का इस्तेमाल विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में लगे कर्मियों के मानदेय का भुगतान किया जाएगा। विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में लगे सभी कर्मियों को 6 हजार रुपए की दर से भुगतान होगा। पुनरीक्षण में लगे 77895 बीएलओ और 8245 बीएलओ सुपरवाइजर को मानदेय दिया जाएगा।

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