बिहार: नीतीश कुमार के इस्तीफे पर अड़े उपेंद्र कुशवाहा, पदयात्रा कर दी शुरू, कहा- सीएम के हटने तक रहेगी जारी
By एस पी सिन्हा | Published: July 2, 2019 07:24 PM2019-07-02T19:24:03+5:302019-07-02T19:24:03+5:30
एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से हुई मासूमों की मौत के विरोध में कुशवाहा की यह यात्रा 6 जुलाई को पटना पहुंचेगी. इस दौरान वह कई गांवों और कस्बों में लोगों से मिलते हुए आगे बढ़ेंगे और नीतीश सरकार के खिलाफ जन समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे.
रालोसपा प्रमुख व पोर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा 'नीतीश हटाओ-भविष्य बचाओ'...के नारे के साथ आज मुजफ्फरपुर से पटना तक के लिए पद यात्रा पर निकले. एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से हुई मासूमों की मौत के विरोध में कुशवाहा की यह यात्रा 6 जुलाई को पटना पहुंचेगी. इस दौरान वह कई गांवों और कस्बों में लोगों से मिलते हुए आगे बढ़ेंगे और नीतीश सरकार के खिलाफ जन समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे.
कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग को लेकर यह पदयात्रा शुरू की है. उपेंद्र कुशवाहा ने मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस स्मारक स्थल से माला अर्पण के बाद पदयात्रा शुरू की. 5 दिनों तक चलने वाली यह पदयात्रा मुजफ्फरपुर से शुरू हुई है, जो पटना में जाकर खत्म होगी. कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में मासूमों की लगातार हो रही मौतों की वजह से उन्हें आंदोलन शुरू करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने 14 साल के शासनकाल में चमकी बुखार से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे को लेकर आंदोलन चलता रहेगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में डॉक्टरों के ढेरों पद खाली है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. बच्चों की मौत पर नीतीश कुमार अपना चेहरा बचा रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार सिर्फ घोषणा करती है. पदयात्रा के पहले दिन 20 किलोमीटर की यात्रा तय कर मुजफ्फरपुर के सरैया स्थित सकरी में रात्रि विश्राम होगा. इसके बाद वैशाली के लालगंज और हाजीपुर में रात्रि विश्राम कर 5 जुलाई की रात्रि पटना में रात्रिविश्राम होगा. 6 जुलाई को पटना के शहीद स्मारक पर जाकर पदयात्रा की समाप्ति होगी.
कुशवाहा ने विपक्षी दलों को साथ लेकर मुख्यमंत्री के इस्तीफे तक आन्दोलन जारी रखने का ऐलान किया है. पम्पलेट बांटकर स्वास्थ्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विफलता को भी उजागर किया जा रहा है. डॉक्टर और नर्सों के स्वीकृत पदों में से आधे से भी काफी कम संख्या में चिकित्सकों और नर्सों की तैनाती पर सवाल खड़ा किया गया है. पम्पलेट में बताया गया है कि राज्य में कुल स्वास्थ्य केन्द्र 11 हजार 861 हैं, लेकिन डॉक्टरों के स्वीकृत पद महज 9 हजार 563 हैं. राज्य में जितने डॉक्टर कार्यरत हैं उससे हरेक अस्पताल में एक चिकित्सक की तैनाती भी संभव नहीं है. इसी तरह ग्रेड ए नर्स और एएनएम की बहाली के मामले में भी सरकार ने रुचि नहीं दिखाई है.