दूसरे राज्य के बहाल कई बीपीएससी शिक्षकों की नौकरी पर तलवार?, कागजात सौंपने का आदेश, 60 प्रतिशत से कम अंक पर गिरेगी गाज
By एस पी सिन्हा | Updated: May 21, 2025 15:04 IST2025-05-21T15:03:45+5:302025-05-21T15:04:55+5:30
सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से शिक्षकों के निलंबन, बर्खास्तगी व अन्य दंडात्मक कार्रवाई से संबंधित डेटा मांग की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश जिलों ने संपूर्ण डेटा अब तक नहीं भेजा है।

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पटनाः बिहार में दूसरे राज्य के बहाल कई बीपीएससी शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। सीटेट व एसटेट में कम अंक होने के बावजूद कई शिक्षक नौकरी पाने में सफल रहे। शिक्षा विभाग के अधिकारी वैसे शिक्षकों के अंक पत्रों की जांच में जुटी है। जिला शिक्षा अधिकारियों से वैसे शिक्षकों के कागजात सौंपने का आदेश दिया है। बताया गया कि 60 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले चयनित शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच की जाएगी। अंक पत्र की जांच शिक्षा भवन में होगी। हालांकि शिक्षकों के खिलाफ अभी तक की गई कार्रवाई से संबंधित डेटा शिक्षा विभाग के पास नहीं है। लेकिन सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से शिक्षकों के निलंबन, बर्खास्तगी व अन्य दंडात्मक कार्रवाई से संबंधित डेटा मांग की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश जिलों ने संपूर्ण डेटा अब तक नहीं भेजा है।
लिहाजा शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखकर अद्यतन डेटा भेजने का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग के निदेशक (प्रशासन) सुबोध कुमार चौधरी ने 19 मई को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखा है। डीईओ को लिखे पत्र में शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के खिलाफ निलंबन, विभागीय कार्यवाही एवं बर्खास्तगी का अद्यतन डेटा भेजने का निर्देश दिया है।
निदेशक (प्रशासन) ने कहा है कि सभी डीईओ को शिक्षकों के खिलाफ निलंबन, विभागीय कार्यवाही एवं बर्खास्तगी का अद्यतन डेटा गुगल सीट में भेजने का निर्देश दिया गया था। शिक्षकों का निलंबन, विभागीय कार्यवाही एवं बर्खास्तगी के संबंध में विभाग स्तर पर समीक्षा की जाती है। अधिकांश जिलों ने गुगल सीट-2 में अपूर्ण सूचना दी है।
कुछ जिले जैसे अररिया,जमुई, नालंदा, पटना, सहरसा, शेखपुरा, सारण, सीतामढ़ी, सुपौल एवं सिवान ने गुगल सीट में कोई डेटा अंकित नहीं किया है। यह खेदजनक है। विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है। पूर्व में गूगल सीट-1 में इम्प्लाई कोड, प्रखंड, स्कूल का नाम, यू डीआईएसई कोड, निलंबन प्रपत्र-क, विभागीय कार्यवाही, बर्खास्तगी, अन्य दंडात्मक कार्यवाही एवं विभागीय कार्यवाही को प्रारंभ तिथि से डेटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। कुछ जिलों द्वारा अधिकांश डेटा गुगल शीट-1 में उपलब्ध नहीं कराया गया है।
इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने सूबे में पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के तहत ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर शिक्षकों की प्रोफाइल अपडेट करवाने का निर्देश दिया है। राज्य में साढ़े पांच लाख से अधिक शिक्षक हैं, जिनमें से 97,000 शिक्षकों ने अब तक अपने प्रशिक्षण प्रमाणपत्र पोर्टल पर अपलोड नहीं किए हैं।
ऐसे में इनकी नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। वहीं, राज्य में 24 हजार शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। कारण कि काउंसलिंग के दौरान लगभग 4000 शिक्षकों के डॉक्यूमेंट्स फर्जी पाए जाने के बाद बीपीएससी टीआरई-1 और 2 में भर्ती हुए हजारों शिक्षक बिहार लोक सेवा आयोग के रडार पर हैं।
साथ ही सीटीईटी में निर्धारित अंक से कम नंबर पाने वाले शिक्षकों की नौकरी भी जा सकती है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बताया कि सभी जिलों से जानकारी मांगी गई है। जानकारी मिलने के बाद अयोग्य एवं जालसाजी कर नौकरी पाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि डीईओ को शिक्षकों की प्रोफाइल अपडेट सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम शिक्षकों की जवाबदेही और शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है। विभाग का उद्देश्य है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।