पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन के बीच एक बार फिर सीमांचल बैटल फील्ड बनता जा रहा है। सीमांचल में बिहार के चार जिले आते हैं। इसमें कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज का नाम शामिल है। यह इलाका कुल 24 विधानसभा सीटों को समेटे हुए पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है और नेपाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है। इसके अलावा यह बांग्लादेश बॉर्डर के भी काफी करीब है। ऐसे में सभी दल इस क्षेत्र में मतदाताओं को लुभाने में जुट गए हैं। सीमांचल बाढ़ प्रभावित इलाका है।
सीमांचल की 24 सीटों में पूर्णिया की सात, कटिहार की सात, अररिया की 6 और किशनगंज की चार सीटें हैं।
कटिहार की बात करें तो यहां पर कटिहार, बलरामपुर, कदवा, मनिहारी, प्राणपुर, बरारी, कोरहा सीटें हैं।
पूर्णिया में पूर्णिया, बायसी, अमौर, रूपौली, काशीचक, धमदाहा, बनमनखी का नाम शामिल हैं।
अररिया में अररिया, जाले, जोकीहाट, रानीगंज, फारबिसगंज और बघवा हैं।
किशनगंज में किशनगंज, कोचाधामन, बहादुरगंज और ठाकुरगंज का नाम शामिल है।
यहां के पुरुष वर्ग काफी संख्या में रोजी-रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश चले जाते हैं। ऐसे में महिला मतदाता ही सीमांचल के 24 विधानसभा सीटों के नेताओं की किस्मत तय करती हैं। सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज से 3 लाख 54 हजार 471 महिला मतदाता के नाम एसआईआर के बाद हटाए गए हैं।
सीमांचल में महिला मतदाता की संख्या पहले 37 लाख 72 हजार 789 थी। एसआईआर के बाद यह संख्या 34 लाख 18 हजार 309 रह गई है। लेकिन एसआईआर में पुरुष की अपेक्षा महिला मतदाताओं के नाम अधिक संख्या में हटाए जाने के कारण कई राजनीतिक दलों का विजयी गणित भी बिगड़ सकता है। क्योंकि सीमांचल में चुनाव लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का, वोट देने के मामले में महिला मतदाता पुरुषों से आगे रही हैं। यहां की महिलाएं मताधिकार के प्रति खासी जागरूक हैं। इसलिए आधी आबादी पर हर सियासी दलों की नजर है।
हालांकि सीमांचल की राजनीति में इस बार कई मुद्दे हावी हैं। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने घुसपैठ रोकने की बात कही है जिसे बिहार की अस्मिता से जोड़ा जा रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठिए भी यहां पकड़े जाते रहे हैं। वहीं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा के माध्यम से वोट चोरी और मतदाता सूची की गड़बड़ी का मुद्दा उठा चुके हैं।
बता दें कि पिछली बार सीमांचल की पांच सीटों पर जीत दर्ज करने वाले एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी फिर से मैदान में उतर गए हैं। जन सुराज पार्टी भी जोर आजमाइश कर रही। सीमांचल में बांग्ला बोलने वाले बदिया मुसलमानों की संख्या अच्छी-खासी है। इस बीच एनडीए अपने कामकाज की दुहाई दे रही।
कुल मिलाकर, घुसपैठ बनाम वोट चोरी, विकास बनाम आरक्षण और रोजगार, एनडीए बनाम महागठबंधन की बहस ने पूरे इलाके को चुनावी रणभूमि बना दिया है। कह सकते हैं कि घुसपैठ की पीठ पर सवार सीमांचल की राजनीति एक नई उड़ान भरने को आतुर है।
पिछले विधानसभा चुनाव में इन 24 सीटों में से भाजपा को आठ सीटें, जदयू को चार सीटें, कांग्रेस को पांच सीटें, भाकपा- माले को एक और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को एक सीट मिली थी। जबकि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, बाद में ओवैसी की पार्टी के पांच में से चार विधायकों ने राजद का दामन थाम लिया।
पूर्णिया जिले में सात सीटें हैं। एनडीए के पास चार, कांग्रेस के पास एक और एआईएमआईएम के पास दो सीटें हैं। अररिया जिले में छह सीटों में चार एनडीए, एक कांग्रेस और एक एआईएमआईएम को मिली। किशनगंज जिले में महागठबंधन और एआईएमआईएम ने दो-दो सीटें जीतीं। कटिहार जिले में एनडीए को चार और महागठबंधन को तीन सीटें मिलीं।
जिलेवार मुस्लिम आबादी की बात करें तो किशनगंज में 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है। वहीं अररिया में 43 फीसदी, कटिहार में 45 फीसदी और पूर्णिया में 39 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिम समाज की है। साथ ही, मुस्लिम आबादी के साथ-साथ यादव, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की भी अच्छी-खासी मौजूदगी है। यहां पर मुस्लिम वोटर्स की भूमिका काफी निर्णायक होती है।
पूर्णिया जिला में 2020 के विधानसभा चुनाव में सात सीटों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के मतदान का प्रतिशत 11 प्रतिशत अधिक था। 56.22 फीसदी पुरुषों ने मताधिकार का प्रयोग किया था, जबकि 67.12 फीसदी महिला मतदाता ने लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डाली थी। बायसी विधानसभा में सबसे अधिक 76.38 महिलाओं ने मतदान किया था।
अमौर में 69.16, कसबा में 70.45, बनमनखी में 66.56, रूपौली में 65.54, धमदाहा में 65.93 और पूर्णिया विधानसभा क्षेत्र में 57.25 प्रतिशत महिला मतदाता ने मताधिकार का प्रयोग किया था। पूर्णिया के सात विधानसभा क्षेत्रों में 2553 मतदान केंद्रों पर चुनाव होगा। एसआईआर से पहले पूर्णिया जिला में 10 लाख 96 हजार 211 महिला मतदाता थी।
अब महिला मतदाता 9 लाख 81 हजार 514 हैं। कटिहार जिला में सात विधानसभा क्षेत्रों में 2542 मतदान केंद्रों पर चुनाव होगा। एसआईआर से पहले यहां 10 लाख 77 हजार 19 महिला मतदाता थी। अब 9 लाख 81 हजार 614 महिला मतदाता हैं। अररिया जिला में छह विधानसभा क्षेत्रों में 2358 मतदान केंद्रों पर चुनाव होगा।
एसआईआर से पहले यहां 10 लाख 33 हजार 55 महिला मतदाता थी। एसआईआर के बाद अब 9 लाख 36 हजार 426 महिला मतदाता हैं। किशनगंज जिला में चार विधानसभा क्षेत्र हैं। जहां 1366 मतदान केंद्रों पर चुनाव होगा। एसआईआर से पहले यहां 5 लाख 96 हजार 195 मतदाता थी। एसआईआर के बाद 5 लाख 18 हजार 755 महिला मतदाता हैं।