Bihar: जदयू के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री डा. अशोक चौधरी अब बिहार के कॉलेज में छात्रों को भी पढ़ाते नजर आएंगे। 58 वर्षीय चौधरी का चयन बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (बीएसयूएससी) द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ है। वह राजनीतिक विज्ञान विभाग में अपनी सेवाएं देंगे। अनुसूचित जाति श्रेणी से चयनित अशोक चौधरी अब प्रोफेसर साहब के रूप में जाने जाएंगे।
बीएसयूएससी द्वारा जारी 280 रिक्तियों में से 274 उम्मीदवारों का चयन किया गया, जिनमें मंत्री चौधरी भी शामिल हैं। आयोग ने चयन प्रक्रिया में शैक्षणिक योग्यता, शिक्षण अनुभव, शोध कार्य और इंटरव्यू को आधार बनाया था।
अशोक चौधरी के परिवार ने पुष्टि की है कि वे यह पद स्वीकार करेंगे और इसके बाद अगर वह राजनीति से कुछ समय के लिए अवकाश लेते हैं और प्रोफेसर की भूमिका निभाएंगे। बता दें कि अशोक चौधरी की बेटी सांसद शांभवी चौधरी ने भी उनके चयन को गर्व का विषय बताया। चौधरी पहले भी कई बार यह बात कह चुके हैं कि वे राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ सार्थक करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले अशोक चौधरी इस समय बिहार के तीन प्रमुख मंत्रियों में से एक हैं। अब सबकी नजर इस पर है कि वे किस कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में योगदान देंगे। उल्लेखनीय है कि बीएसयूएससी ने 2020 में 52 विषयों में 4,638 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए भर्ती निकाली थी, जिसमें पॉलिटिकल साइंस के 280 पद शामिल थे। इस प्रक्रिया में हजारों अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया, लेकिन साक्षात्कार और परिणाम की देरी के कारण यह भर्ती लंबे समय तक चर्चा में रही।
अशोक चौधरी पहले बिहार के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। अशोक चौधरी का जन्म 25 फरवरी 1968 को शेखपुरा जिले के बरबीघा में हुआ था। उनके पिता स्व. महावीर चौधरी भी कांग्रेस के नेता थे और बिहार में मंत्री रह चुके थे। अशोक चौधरी ने भी कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और 2000 में बरबीघा से विधायक बने। 2013 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, लेकिन 2018 में जदयू में शामिल हो गए।
वर्तमान में वह नीतीश कुमार सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं। उनकी बेटी शांभवी चौधरी लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) से समस्तीपुर की सांसद हैं।