नई दिल्लीः कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के मद्देनजर भविष्य में कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए एक नयी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता बताई। बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राज्य विधानसभा चुनावों की मतगणना में बढ़त बनाने के मद्देनजर उन्होंने यह बात कही। कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष शिवकुमार ने बिहार चुनाव नतीजे को अपनी पार्टी और उसके सहयोगियों के लिए एक ‘‘सबक’’ बताया। शिवकुमार ने कहा, ‘‘जनता ने जनादेश दिया है। यह हमारे लिए एक सबक है। मुझे लगता है कि भविष्य में हम कांग्रेस पार्टी और ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए एक नयी रणनीति तैयार करेंगे।’’ कांग्रेस ने 2020 में 19 सीट जीती थीं और 2025 में 5 सीट पर आगे है।
यह पूछे जाने पर कि क्या महिलाओं को 10,000 रुपये के प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) और महिला मतदाताओं की संख्या में वृद्धि बिहार चुनावों में राजग के शानदार प्रदर्शन की वजह है, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस पर गौर करने दीजिए। मुझे अभी तक विस्तृत रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद मैं इस पर बात करूंगा।’’ बिहार में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था।
बिहार चुनाव के लिए मुझे आमंत्रित नहीं किया गया, पार्टी की हार की समीक्षा होनी चाहिए: थरूर
कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें बिहार चुनाव में प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अपनी हार के कारणों की जांच करेगी। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद पत्रकारों से बातचीत में थरूर ने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह इस हार के कारणों का विस्तार से अध्ययन करे।
उन्होंने कहा, ‘‘याद रखें, हम गठबंधन में वरिष्ठ सहयोगी नहीं थे और राजद को भी अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना होगा।’’ उनके अनुसार, बिहार जैसे जनादेश में, पार्टी के समग्र प्रदर्शन की जांच करना महत्वपूर्ण है। थरूर ने कहा कि चुनाव कई कारकों पर निर्भर करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है, जनता का मूड भी मायने रखता है। संगठन की ताकत और कमजोरियों पर सवाल हैं। संदेश देने का सवाल है।
इन मुद्दों पर गौर करना होगा।’’ थरूर ने कहा कि नतीजों का गहन विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं वहां नहीं था और मुझे बिहार में प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। इसलिए मैं अपने निजी अनुभव से ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। जो लोग वहां थे, वे निश्चित रूप से नतीजों का अध्ययन करेंगे।’’ इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम एम हसन ने पार्टी में वंशवाद की राजनीति के खिलाफ अपने हालिया लेख के लिए थरूर की तीखी आलोचना की।
एक अन्य कार्यक्रम में, हसन ने कहा कि सांसद नेहरू परिवार के समर्थन से राजनीति में आए और उन्हीं की बदौलत उन्हें सारे पद और प्रसिद्धि मिली। अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ के लिए हाल में लिखे एक लेख में, तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा था कि राजनीतिक परिदृश्य में वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए ‘गंभीर खतरा’ है।