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बिहार राज्यसभा चुनावः अप्रैल 2026 में 5 सीटें खाली?, उच्च सदन में दिखेंगे पवन सिंह और रीना पासवान?, देखिए विधानसभा में किसके पास कितने विधायक

By एस पी सिन्हा | Updated: December 21, 2025 14:19 IST

Bihar Rajya Sabha Elections: पवन सिंह को राज्यसभा भेजकर भाजपा पूर्वांचल, युवाओं और भोजपुरी भाषी वोटरों को एक बड़ा संदेश देना चाहती है।

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ठळक मुद्देBihar Rajya Sabha Elections:सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनावों की जीत के बाद नए चेहरों को ऊपरी सदन भेजने की योजना है। Bihar Rajya Sabha Elections: भाजपा की 2 सीटों पर अनुभवी और युवा नेताओं का मिश्रण देखा जा सकता है जो एनडीए की राष्ट्रीय रणनीति को मजबूत करेगा।Bihar Rajya Sabha Elections: जदयू की मजबूत स्थिति का फायदा उठाते हुए वफादार नेताओं को राज्यसभा भेज सकती है।

पटनाः बिहार में आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए एनडीए के भीतर बिसात बिछने लगी है। अप्रैल 2026 में राज्यसभा की पांच सीटें खाली होनी हैं, और इन सीटों को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के भीतर मंथन तेज हो गया है। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन का राज्यसभा जाना लगभग तय माना जा रहा है, वहीं भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह का नाम भी चर्चा में है। जिन्हें राज्यसभा भेजे जाने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि पवन सिंह को राज्यसभा भेजकर भाजपा पूर्वांचल, युवाओं और भोजपुरी भाषी वोटरों को एक बड़ा संदेश देना चाहती है।

पार्टी सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनावों की जीत के बाद नए चेहरों को ऊपरी सदन भेजने की योजना है। भाजपा की 2 सीटों पर अनुभवी और युवा नेताओं का मिश्रण देखा जा सकता है जो एनडीए की राष्ट्रीय रणनीति को मजबूत करेगा। उधर, जदयू में भी 2 सीटों के लिए नामों पर मंथन जारी है। जदयू की मजबूत स्थिति का फायदा उठाते हुए वफादार नेताओं को राज्यसभा भेज सकती है।

जबकि लोजपा(रा) को मिलने वाली संभावित 1 सीट चिराग पासवान के लिए महत्वपूर्ण होगी, लेकिन इसके लिए गठबंधन के भीतर समझौता जरूरी है। संभावना जताई जा रही है कि एस एक सीट पर चिराग पासवान अपनी मां रीना पासवान को राज्यसभा में भेज सकते हैं। कुल मिलाकर एनडीए की जीत से स्थिति साफ लगती है। लेकिन महागठबंधन की ओर से कोई रणनीतिक कदम ट्विस्ट ला सकता है।

राजद और कांग्रेस की कमजोर स्थिति से उनका राज्यसभा प्रतिनिधित्व घटेगा। ऐसे में राज्यसभा की खाली होने वाली सीटों पर आकर टिक गई है। सत्ता पक्ष की कोशिश है कि एक भी सीट महागठबंधन के खाते में न जाए और सभी पांचों सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीत दर्ज करें। विधानसभा के मौजूदा अंकगणित पर नजर डालें तो एनडीए की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।

राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए करीब 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है। इसी वजह से राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि इस बार राज्यसभा में भी तेजस्वी यादव को करारी राजनीतिक मात मिलने वाली है। एनडीए की रणनीति यह है कि महागठबंधन को एक भी सीट पर जीत हासिल न हो और सभी पांचों सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार सफल हों।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार भी राज्यसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को करारी मात मिल सकती है। बता दें कि राज्यसभा की पांच सीटें 9 अप्रैल 2026 को खाली हो रही हैं। इनमें राजद के प्रेम चंद गुप्ता, एडी सिंह, जदयू के हरिवंश नारायण, रामनाथ ठाकुर और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।

लेकिन एनडीए ने बिहार की राजनीति का संतुलन पूरी तरह बदल दिया है। इस बहुमत का सीधा असर अप्रैल 2026 में होने वाले राज्यसभा चुनावों पर दिखने वाला है। मौजूदा संख्या बल के हिसाब से एनडीए सभी पांचों सीटें अपने खाते में डाल सकती है। इसके उलट, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए हालात ऐसे बन गए हैं कि उनके खाते में एक भी सीट आना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 202  सीटें जीतीं और प्रचंड बहुमत हासिल किया, जिससे महागठबंधन को एक भी राज्यसभा सीट मिलने की संभावना न के बराबर है।

कारण कि महागठबंधन के मात्र 36 विधायक ही जीत सके हैं। हालांकि एआईएमआईएम के 6 विधायकों का समर्थन अगर दें तो उनकी संख्या 41 हो जा सकती है। हालांकि इसकी संभावना कम ही है कि एआईएमआईएम का समर्थन राजद को मिल सके। इस बीच एनडीए ने स्पष्ट कर दिया है कि अप्रैल 2026 के चुनावों में एक भी सीट महागठबंधन को नहीं जाने दी जाएगी।

विधानसभा चुनावों के परिणामों से एनडीए की स्थिति मजबूत हुई है। सूत्रों के मुताबिक जदयू को 2 सीटें, भाजपा को 2 और लोजपा (रा) को 1 सीट मिल सकती है। चिराग पासवान को अपने सहयोगियों को मनाना पड़ सकता है, लेकिन एनडीए की एकजुटता से यह संभव लगता है। विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत ने राज्य को राज्यसभा में और कमजोर कर दिया है, जहां उनकी सीटें 2030 तक शून्य हो सकती हैं।

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