पटना: कांग्रेस के द्वारा कन्हैया कुमार की बिहार की सियासत में बढी गतिविधियों से राजद के अंदर बेचैनी की स्थिति बताई जा रही है। दरअसल, राजद नहीं चाहती है कि तेजस्वी यादव के साथ कन्हैया कुमार को सियासी मैदान में उतारा जाए। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस जिस तरह बिहार में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को आगे बढ़ा रही है, उससे राजद नाखुश है। तेजस्वी यादव राज्य में इन दोनों नेताओं के बढ़ते कद से परेशान हैं। बता दें कि कांग्रेस ने बिहार में ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ पदयात्रा की घोषणा की है, जिसमें कन्हैया कुमार प्रमुख भूमिका में होंगे।
उधर, पप्पू यादव लगातार राजद के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं, इसके बावजूद कांग्रेस उन्हें आगे बढ़ा रही है। ऐसे फैसले राजद को असहज कर रहे हैं। कई बार वह खुलकर भी विरोध जता चुके हैं। सूत्रों की मानें तो राजद ने कांग्रेस को इस बारे में स्पष्ट मैसेज भी भेजा है। बावजूद इसके कांग्रेस जिस तरह बिहार में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को आगे बढ़ा रही है, उससे राजद नाखुश है। तेजस्वी यादव राज्य में इन दोनों नेताओं के बढ़ते कद से परेशान हैं। राजद चाहती है कि कांग्रेस उसका पूरा समर्थन करे। इसमें तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार प्रोजेक्ट करके चुनाव में उतरा जाए। लेकिन कांग्रेस अभी अटक रही है।
सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव कांग्रेस के कुछ फैसलों से नाराज हैं। नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि कांग्रेस को भी राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे 12 मार्च को होने वाली बैठक की टालनी पड़ी है। हालांकि इसकी बड़ी वजह होली बताई जा रही है। बिहार चुनाव की रणनीति पर काम शुरू करने के लिए कांग्रेस ने ये बैठक बुलाई थी। बैठक में बिहार के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावारु और राहुल गांधी के साथ पार्टी के 30-35 सीनियर लीडर के मौजूद रहने की बात कही गई थी। बिहार चुनाव को लेकर ये बैठक काफी अहम मानी जा रही थी।
उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में एक सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री पद का चेहरा है। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का निर्णय कांग्रेस हाईकमान के फैसले के बाद होना चाहिए। जबकि राजद पहले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुकी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कन्हैया कुमार की यात्रा से कांग्रेस का बिहार प्रदेश नेतृत्व नाखुश है। 16 मार्च से शुरू हो रही यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई की यात्रा को लेकर प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व से राय नहीं ली गई। कहा जा रहा कि इसे लेकर अंदरूनी कलह शुरू हो गई है।
नौकरी और पलायन के मुद्दे पर 16 मार्च से 14 अप्रैल तक कांग्रेस के युवा और छात्र संगठन के कार्यकर्ता पदयात्रा निकालेंगे, जो पश्चिम चंपारण स्थित गांधी आश्रम से पटना तक जाएगी। इसे बिहार की सियासत में कन्हैया की वापसी की यात्रा मानी जा रही है।
वहीं, सियासी जानकारों की मानें तो बिहार में महागठबंधन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस आंतरिक कलह, गठबंधन पर असहमति और नेतृत्व संकट का सामना कर रही है। मोटे तौर पर तो महागठबंधन के दल साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर कई मतभेद सामने आए हैं।
बिहार कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर अस्थिरता देखी गई है, जिससे संगठन में असमंजस बढ़ा है। कांग्रेस को पता है कि राजद का वोट बैंक भी वही है, जो कभी कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था। इसलिए वह पुराना वोट बैंक वापस पाने के लिए हर तरह का जुगत लगा रही है। गठबंधन में दूसरा मजबूत दल होने की वजह से वह कमजोर नहीं दिखना चाहती।