पटनाःबिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रथम चरण में 121 सीटों के लिए मतदान समाप्त होने के साथ ही सभी दलों ने दूसरे चरण के लिए सियासी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। एनडीए ने एक ओर जहां नीतीश कुमार को बतौर मुख्यमंत्री पेश किया है तो दूसरी ओरे काफी जद्दोजहद के बाद महागठबंधन के द्वारा तेजस्वी यादव को अंतत: अपना-अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है। भाजपा-जदयू की धुरी के इर्द-गिर्द गठित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), और कांग्रेस-राजद की धुरी के इर्द-गिर्द गठित महागठबंधन, अंदरूनी खेल में फंसे हैं।
विपक्षी महागठबंधन राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है। महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया है। लेकिन उनकी शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। तेजस्वी यादव शिक्षा के मामले में अपने चुनावी हलफनामे के मुताबिक 9वीं फेल हैं। अब उन्हीं के उपमुख्यमंत्री के दावेदार मुकेश साहनी के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, वो 8वीं पास हैं।
मुकेश सहनी दरभंगा के सुपौल बाजार में जन्मे। उनके पिता जीतन सहनी एक सामान्य व्यवसायी थे। आर्थिक तंगी के कारण वे 19 वर्ष की उम्र में मुंबई पहुंचे, जहां उन्होंने एक कॉस्मेटिक स्टोर में सेल्समैन के रूप में काम शुरू कर दिया था। उन्होंने सेट डिजाइनिंग का क्षेत्र चुना और ‘मुकेश सिने वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी भी बनाई।
उन्होंने शाहरुख खान की ‘देवदास’ से लेकर ‘सलमान खान’ की बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों के सेट भी डिजाइन किए थे। साल 2019 में वीआईपी ने महागठबंधन में शामिल हुए थे, 2020 में एनडीए में शामिल होकर नीतीश सरकार में पशुपालन मंत्री बने थे। साल 2022 में सरकार बदलने पर उन्हें पद से हटा दिया गया था।
ऐसे में वो दोबारा महागठबंधन में चले गए थे। खास बात यह है कि वे जिस भी सरकार में रहे लगातार डिप्टी सीएम पद की मांग करते रहे, ताकि निषाद समाज को मजबूत प्रतिनिधित्व मिल सके। मुकेश सहनी की संपत्ति की बात करें तो चुनावी हलफनामे के मुताबिक, 12.34 करोड़ रुपये की संपत्ति है। वहीं, निवर्तमान विधानसभा में भाजपा ज्यादा बड़ी पार्टी है।
फिर भी नीतीश मुख्यमंत्री हैं। 74 वर्षीय नीतीश कुमार इंजीनियरिंग के डिग्रीधारक हैं। हालांकि नीतीश कुमार की उम्र ढल रही है और वह मंद पड़ रहे हैं, तब भी बिहार में एक समर्थक वर्ग पर उनकी इतनी पकड़ बनी हुई है। उधर, तेजस्वी के पास आबादी के एक उल्लेखनीय और मुखर तबके का समर्थन है, लेकिन बाकी तबकों में उनके प्रति उतनी ही नाराजगी भी है।
तेजस्वी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करके, महागठबंधन अपना आधार विस्तृत करने की कोशिश से पूर्व, पहले अपना यादव आधार मजबूत करने का प्रयास कर रहा है। एनडीए और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे काफी असर रखते हैं, लेकिन विभिन्न वजहों से वे वैधता के संकट और जनता के संशय का भी सामना कर रहे हैं।
वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी खुद को उन लोगों के लिए एक मंच के बतौर पेश करने की कोशिश कर रही है जो नीतीश और तेजस्वी से थक चुके हैं। यह अब भी प्रशांत किशोर के लिए दूर की संभावना है। लेकिन एक कामचलाऊ स्पष्टता से पहले भ्रम और देरी से पता चलता है कि अन्य दो गठबंधनों में सब ठीक नहीं है। ऐसे में अब सभी की निगाहें जनता के फैसले पर टिकी गई हैं।