पटनाः बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले एक आए सर्वे रिपोर्ट ने राज्य के आधे से अधिक विधायकों की नींद को उड़ा कर रख दी है। वोट वाइब के सर्वे को अगर माना जाए तो राज्य के 243 विधायकों में से 130 विधायक जनता की नजर में ‘निकम्मा’ हैं। वोट वाइब ने जनता से पूछा, यदि आपके मौजूदा विधायक को पार्टी फिर से टिकट देगी तो क्या आप वोट देंगे? इस सवाल के जवाब में 53.5 प्रतिशत लोगों ने कहा नहीं, 14.7 प्रतिशत लोगों ने कहा पता नहीं और 31.8 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा हां। इस लिहाज से देखें तो 130 विधायकों को जनता दोबारा वोट नहीं देना चाहती है।
इसमें शहरी क्षेत्रों के मौजूदा विधायक के बारे में 57 प्रतिशत जनता ने कहा है कि वोट नहीं देंगे। वहीं, 31 प्रतिशत लोगों ने वोट देने की बात की है। जबकि, 12 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा है कि अभी तय नहीं किए हैं या पता नहीं है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के 52 प्रतिशत मतदाताओं ने मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं देने की बात की है। जबकि, 32 प्रतिशत ने कहा है कि मौजूदा विधायकों को वोट देंगे।
वहीं 16 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा है कि अभी तक फैसला नहीं किया है या पता नहीं है। वहीं, 55 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने कहा है कि अगर वर्तमान विधायक चुनाव लड़ते हैं तो उनको वोट नहीं देंगे। जबकि 51 प्रतिशत महिला वोटर्स भी मौजूदा विधायक को वोट नहीं करने की बात सर्वे में बताया है।
18 साल से 24 साल उम्र के 54 प्रतिशत मतदाताओं ने मौजूदा विधायक को वोट नहीं देने की बात कही है। 25 से 34 साल आयु वर्ग के 57 प्रतिशत लोगों ने भी मौजूदा विधायक को वोट नहीं देने का ऐलान सर्वे में किया है। वहीं, 35 साल से 44 साल आयु वर्ग के 55 प्रतिशत मतदाताओं ने भी मौजूदा विधायकों को वोट नहीं देने की बात सर्वे में कही है।
ऐसे में इस सर्वे ने बिहार के सभी पार्टियों को सोचने को मजबूर किया है कि क्या वह मौजूदा विधायक को टिकट दें या नहीं दें। इस सर्वे में कुल 5635 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं। इसमें पुरुष सैंपल 52 फीसदी और महिलाएं 48 फीसदी हैं। उधर, सूबे की सियासत अब युवाओं की ताकत के इर्द-गिर्द घूम रही है। राज्य में युवाओं की आबादी 58 फीसदी हो गई है।
ऐसे में सभी राजनीतिक दल इस बड़े वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए पूरी तरह मजबूत मोर्चेबंदी कर रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को छात्र क्रेडिट कार्ड को ब्याज मुक्त करने का ऐलान कर युवाओं को लुभाने का प्रयास किया है।
वहीं, राजद के द्वारा भी इस बार टिकट वितरण में युवाओं तरजीह देते हुए कई पुराने नेताओं की सीट काटकर नए, जिताऊ युवा नेताओं को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव के द्वारा इन दिनों युवाओं को पार्टी में विशेष तवज्जो दी जाने लगी है। हर मंच और फोरम में युवाओं की टोली नजर आती है।
दरअसल, राजद का मक़सद केवल चुनावी जीत नहीं, बल्कि यह संदेश देना भी है कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो नई पीढ़ी के लिए योजनाओं और अवसरों की सौगात आएगी। युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया गया। ग्राम चौपाल, राज्यस्तरीय युवा चौपाल और बापू सभागार में युवा संसद का आयोजन कर उनकी राजनीतिक समझ और सक्रियता को बढ़ावा दिया गया।
युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष राजेश यादव का कहना है कि इस बार विस चुनाव में युवाओं की निर्णायक भूमिका होगी। पार्टी ने उन्हें वैचारिक, सांगठनिक और धारदार प्रशिक्षण दिया है।राजद की रणनीति स्पष्ट है युवाओं को मंच देना, उन्हें सशक्त करना और चुनावी लड़ाई में दबदबा बढ़ाना। तेजस्वी यादव की अगुवाई में यह युवा मोर्चा 2025 में पार्टी की जीत की कुंजी बन सकता है।