पटना: बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीाफे और महागठबंध सरकार के इतिहास बनने के बाद भाजपा और जदूय खुलकर बिहार के सियासी मैदान में एक साथ आ चुके हैं। वैसे जदयू और एनडीए की गलबहियां और रूठने-मनाने का सिलसिला पुराना है लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने सत्ता के एक ही कार्यकाल में दो बार ऐसा करके सभी सियासी जानकारों को चौंका दिया है।
अब नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने पर बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष संजय जयसवाल ने स्थिति साफ करते हुए कहा, ''बिहार का हाल भी पश्चिम बंगाल जैसा होता। इसलिए पीएम मोदी ने बिहार की जनता के हित में ये फैसला लिया। 1990 से 2005 तक बिहार में जंगल राज था लेकिन अब दोबारा ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए जदयू के एनडीए में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। मैं पार्टी की ओर से पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद देता हूं।"
वहीं दूसरी तरह जदयू के साथ सत्ता साझा करने की तैयारी में लगी हुई भाजपा ने प्रदेश प्रमुख सम्राट चौधरी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना है। पार्टी की ओर से किये गये इस फैसले के बाद सम्राट चौधरी ने कहा, "बीजेपी ने मेरे जीवन के लिए ऐतिहासिक काम किया है। विधानमंडल दल का नेता चुना जाना मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम उस सरकार का हिस्सा थे, जिसे 2020 में जनता ने जनादेश दिया था। वह जनादेश बिहार के विकास और लालू यादव के आतंक को खत्म करने के लिए मिला था। जब बीजेपी को नीतीश कुमार की ओर से यह प्रस्ताव मिला कि बिहार में जंगल राज न हो और संजय झा उनके राजदूत के रूप में यहां आए, हमने इसका समर्थन करने का फैसला किया है।"
मालूम हो कि इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपााल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से राजभवन जाकर मुलाकात की थी और उसने कहा था कि कि जदयू का महागबंधन से रिश्ता खत्म हो गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर गवर्नर से मुलाकात की और पार्टी के ओर से लिये गये फैसले के बारे में जानकारी दी। नीतीश कुमार ने राजभवन में राज्यपाल से कहा कि हमने राज्य में महागठबंधन से नाता तोड़ने का फैसला किया है।