Bihar Politics News: बिहार में सत्ता पलटने के बाद नीतीश सरकार एक्शन में आ गई है और विपक्ष को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है। नई सरकार के विश्वासमत के दौरान विधायकों के खरीद फरोख्त की बातें सामने आई थी। अब विश्वासमत के दौरान इस तरह के आरोपों की जांच आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओयू से कराने का फैसला लिया गया है। इसको लेकर पटना एसएसपी राजीव मिश्रा ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर आर्थिक अपराध इकाई से जांच कराने का अनुरोध किया है। केस की जांच का आईओ डीएसपी लेवल के अफसर को बनाया गया है। दरअसल, जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने कोतवाली थाने में केस दर्ज करवाया था और 10 करोड़ में डील होने की लिखित शिकायत की थी। इस मामले में पटना के पुलिस उपाधीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) कृष्ण मुरारी प्रसाद ने बताया कि सुधांशु शेखर ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में पार्टी के ही विधायक संजीव कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कार्रवाई है। एएसपी प्रसाद ने कहा कि विधायक शेखर ने 11 फरवरी को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी।
हमने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और जांच शुरू की है। उसके बाद अब यह मामला सामने आया है। अब इसकी जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को दिया गया है। बता दें कि सुधांशु शेखर का आरोप है कि जदयू के विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था।
कोतवाली थाने में दर्ज प्राथमिकी में सुधांशु शेखर ने कहा है कि जदयू विधायकों को 5 करोड़ रुपये पहले और 5 करोड़ रुपये बाद में देने का ऑफर दिया गया था। यही नहीं जदयू विधायकों को पैसों के साथ-साथ मंत्री पद का भी लालच दिया गया था। इसमें जदयू विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण की बात की जानकारी भी मिली थी।
इसकी वजह राजद पक्ष का समर्थन बताया जा रहा था। इसमें आशंका जताई गई थी कि जदयू के डॉ संजीव कुमार, राजद के इंजीनियर सुनील अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अपहरण की घटना में शामिल रहे हैं। इस वजह से जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था।
विश्वासमत के दिन (12 फरवरी) खींचतान की स्थिति पैदा हो गई थी। इस दौरान विधायकों के खरीद फरोख्त का मामला सामने आया था। बिहार में सरकार एनडीए की हो गई है। ऐसे में अब केस में पैसा का जिक्र के कारण ईओयू अब इसकी जांच करेगी। सूत्रों के अनुसार जदयू अपने गायब विधायकों पर कार्रवाई कर सकता है।