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Bihar Politics News: जदयू में संभावित टूट को बचाना बड़ी चुनौती!, सीएम नीतीश कुमार के सामने कठिन परीक्षा, केसी त्यागी ने कहा- राजनीति में कोई दुश्मन नहीं

By एस पी सिन्हा | Updated: December 30, 2023 17:34 IST

Bihar Politics News: नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बचाना है क्योंकि हाल के दिनों में सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी में भगदड़ मच सकती है।

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ठळक मुद्दे महागठबंधन को टाटा-बाय-बाय बोलकर पुराने साथी एनडीए का रुख कर सकते हैं।केसी त्यागी ने स्पष्ट कहा कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता है, लेकिन हम एनडीए में नहीं जा रहे हैं। भाजपा से हमारी पुरानी दोस्ती है लेकिन अब इसका रंग बिल्कुल फीका हो गया है।

Bihar Politics News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि वह(नीतीश कुमार) एक बार फिर पाला बदल सकते हैं और महागठबंधन को टाटा-बाय-बाय बोलकर पुराने साथी एनडीए का रुख कर सकते हैं।

इस मुद्दे पर जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने स्पष्ट कहा है कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता है, लेकिन हम एनडीए में नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा से हमारी पुरानी दोस्ती है लेकिन अब इसका रंग बिल्कुल फीका हो गया है। उन्होंने दोबारा जोर देते हुए कहा था कि राजनीति में मतभेद होता है, मनभेद नहीं। असहमति होती है, दुश्मनी नहीं।"

ऐसे में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बचाना है क्योंकि हाल के दिनों में सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी में भगदड़ मच सकती है। जदयू के अधिकतर नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। लिहाजा इन कयासों पर पूर्ण विराम लगाते हुए पार्टी को बचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

पिछले कुछ सालों में लगातार जदयू की स्थिति खराब हुई है। साल 2010 में जिस जदयू ने बिहार विधानसभा चुनाव में 144 सीटों पर चुनाव लडने के बाद 115 सीटों पर जीत हासिल की थी, वो साल 2015 में 71 और फिर 2020 में 43 पर आकर सिमट गई। बार-बार गठबंधन बदलने के चलते भी 'सुशासन बाबू' नीतीश कुमार की छवि को भी नुकसान हुआ है।

लिहाजा अपनी राजनीतिक छवि को सुधारना नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके साथ ही कभी भाजपा तो कभी राजद के सहारे बिहार की गद्दी संभालने वाले नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि उनकी पार्टी जदयू साल 2019 की तरह साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें बरकरार रखने में कामयाब हो सके।

पुराने प्रदर्शन को एक बार फिर से दोहरा सके। इसके अलावा उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वह जब तक चाहें बिहार के मुख्यमंत्री बने रहें और राजद- भाजपा के बीच अपनी और अपनी पार्टी के वजूद को बनाए रखें। वहीं, चुनौती यह भी है उन्हें खुद को एक मजबूत राष्ट्रीय नेता के तौर पर पेश करना होगा।

ताकि इंडिया गठबंधन की बैठक में उन्हें दरकिनार कर आगे की रणनीति नहीं बनाई जाए और बड़ी जिम्मेदारी मिल सके। इसके साथ-साथ जदयू का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना नीतीश कुमार के सामने बड़ी चुनौती होगी। पार्टी के विस्तार के साथ-साथ भविष्य के लिए एक रोडमैप भी तैयार करना होगा।

जदयू भाजपा और कांग्रेस की तरह एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का तमगा हासिल कर सके। लेकिन फिलहाल उनकी पहली चुनौती अपनी पार्टी को बचाए रखने की है। कारण कि जदयू के अधिकतर नेता राजद के साथ खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं। भले ही दलों का मिलन हुआ है, लेकिन नेताओं के दिल नही मिल पा रहे हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें अपनी राजनीतिक जीवन पर खतरा महसूस होने लगा है।

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