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Bihar Politics: चिराग और मुकेश के सहारे नीतीश को चित्त करने की तैयारी में जुटी है भाजपा

By एस पी सिन्हा | Updated: September 16, 2022 16:46 IST

बिहार में एक ओर प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार की मुलाकात हुई है तो दूसरी तरफ भाजपा के द्वारा चिराग पासवान के अलावा अन्य को भी साथ लाने की तैयारी चल रही है।

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ठळक मुद्देभाजपा के द्वारा चिराग पासवान के अलावा अन्य को भी साथ लाने की तैयारी चल रही हैबिहार में राजनीति के करवट बदलने के बाद भाजपा विपक्ष में अकेली पार्टी बन गई हैरणनीति के साथ महागठबंधन को जवाब देने की तैयारी कर रही है भाजपा

पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में दोनों गठबंधन बिछड़े साथियों को जोड़ने की पहल कर रहे हैं। एक ओर प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार की मुलाकात हुई है तो दूसरी तरफ भाजपा के द्वारा चिराग पासवान के अलावा अन्य को भी साथ लाने की तैयारी चल रही है। दरअसल, वर्तमान राजनीतिक गहमागहमी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ​खिलाफ 1977 की तरह संपूर्ण विपक्ष गोलबंदी तेज गई है। उसे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के सात दलों से मुकाबला के लिए तैयारी करनी है।

बिहार में अब राजनीति के करवट बदलने के बाद भाजपा विपक्ष में अकेली पार्टी बन गई है। जबकि, एनडीए में उसके साथ सत्‍ता में रहा जदयू अब राजद, कांग्रेस व वाम दलों के साथ सत्‍ताधारी महागठबंधन में है। ऐसे में बिहार में अब भाजपा के सामने फिर सत्‍ता में आने की चुनौती खड़ी हो गई है। इसके लिए वोटों के गणित को साधते हुए पुराने सहयोगियों को फिर साथ में लेना जरूरी है। भाजपा इसे समझ रही है। 

इसी कड़ी में पुराने सहयोगी चिराग पासवान के अतिरिक्त कुछ अन्य दलों और जातीय क्षत्रपों पर भी भाजपा की नजर है। ये ऐसे क्षत्रप हैं, जो महागठबंधन में सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं। अंदरखाने में मुकेश सहनी को भी साधने की चर्चा है। भाजपा जानती है कि पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाला लोजपा का टूटा हुआ गुट भले ही गठबंधन में है, लेकिन बिहार में मतदाता अभी भी चिराग पासवान के साथ हैं। 

बिहार में छह प्रतिशत पासवान मतदाता हैं, जिन्होंने बीते चुनाव में बड़े पैमाने पर लोजपा को अपना समर्थन दिया था। इसी लिहाज से 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले जदयू, राजद, कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन के साथ मुकाबला करने के लिए भाजपा दलित मतदाताओं के खास हिस्से को अपने पास रखना चाहती है। यही कारण है कि भाजपा की नजर चिराग पासवान के साथ-साथ मुकेश सहनी पर है। 

भाजपा बिहार में दलित वोटरों की अहमियत को समझ रही है। इसे देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन से मुकाबला करने के लिए भाजपा को दलित मतदाताओं के समर्थन की जरूरत है। इस तरह से बिहार में महागठबंधन के बैनर तले जुटे सात दलों के जवाब देने की तैयारी कर रही है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले पवन वर्मा और फिर प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी। महागठबंधन में रहते हुए नीतीश कुमार के लिए प्रशांत किशोर 2015 के विधानसभा चुनाव में रणनीतिक जलवा दिखा चुके हैं। नए समीकरण में इसी उम्मीद से दोनों की मुलाकात को देखा जा रहा है। 

वहीं, नीतीश दिल्ली की यात्रा के जरिए संपूर्ण विपक्ष को जोड़ने की पहल कर चुके हैं। ऐसे में इस पहल को अमलीजामा पहनाने में प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका हो सकती है।

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