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नगर निगम चुनाव पर संकट के बादल! पटना हाईकोर्ट के फैसले पर बिहार में सियासत गर्म, जदयू ने केन्द्र को बताया जिम्मेदार

By एस पी सिन्हा | Updated: October 4, 2022 15:56 IST

बिहार में पटना हाई कोर्ट के आरक्षण पर फैसले के बाद नगर निकाय चुनाव को लेकर संशय के बादल गहरा गए हैं। वहीं, पूरे मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। जदयू ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है तो भाजपा ने भी पलटवार किया है।

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पटना: बिहार में नगर निकाय चुनाव पर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर सियासत शुरू हो गई है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने हाईकोर्ट के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने इसके लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार माना है। इस पर भाजपा ने भी जदयू पर पलटवार किया है। भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अति पिछड़ा समाज पर धोखा देने का आरोप लगाया है। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने इस फैसले को दुर्भाग्‍यपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह आरक्षण समाप्‍त करने की कोशिश है। इसके खिलाफ जदयू आंदोलन करेगा। शीघ्र ही कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। 

वीडियो जारी कर कुशवाहा ने कहा है कि पटना हाईकोर्ट का जो फैसला हुआ है नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा का आरक्षण समाप्‍त होना चाहिए और समाप्‍त करके फिर से आयोग नोटिफिकेशन जारी करे, तब चुनाव कराया जाए, यह काफी दुर्भाग्‍यपूर्ण है। केंद्र सरकार और भाजपा की गहरी साजिश का यह परिणाम है। आरक्षण जो मिला हुआ है या विभिन्‍न राज्‍यों में देने की बात चल रही है पंचायती राज और निगर निकायों में, कोर्ट ने कहा है तीन टेस्‍ट से जांचने की जरूरत है तब आरक्षण दिया जाना चाहिए। 

कुशवाहा ने कहा कि जाति की गिनती का आंकड़ा तत्‍काल अनिवार्य है। केंद्र सरकार जाति की गिनती नहीं करवा रही है। समय पर केंद्र सरकार ने जातियों की गिनती करा ली होती और तीन टेस्‍ट की जांच प्रक्रिया पूरी हो जाती तो आज यह स्थिति नहीं आती। आरक्षण चलता रहता और समय पर चुनाव हो जाता। लेकिन भाजपा और केंद्र सरकार जो चाह रही है कि पिछड़ों-दलितों का आरक्षण समाप्‍त हो, उसी की कोशिश का यह परिणाम है। 

उधर, भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि "राज्य सरकार से अपील है कि अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नगर निकायों में आरक्षण लागू करें ताकि ससमय चुनाव सम्पन्न हो सके। बिहार में इसी सूची को पंचायत और नगर निकाय में लागू किया गया है। कोर्ट के अनुसार राजनैतिक प्रतिनिधित्व की सूची नौकरी और शिक्षा की सूची से अलग होगी। 

उन्होंने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करना चाहिए अन्यथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की तरह बिना पिछड़ा आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने की नौबत आ सकती है।

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