बिहार: नीतीश सरकार ने किताबों की बिक्री की छूट दें उड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग-लॉकडाउन की धज्जियां, किताबों के लिए लग रही हैं लंबी कतारें

By एस पी सिन्हा | Updated: April 28, 2020 17:46 IST2020-04-28T17:46:29+5:302020-04-28T17:46:29+5:30

बिहार में भी कोरोना संक्रमितों के मिलने का सिलसिला जारी रहने के बीच राजधानी पटना सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में किताब की दुकानें खुलने से लोग बच्चों के किताबों के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं. लेकिन सरकार ने जो सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेंन करने की बात कही थी वो पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है.

Bihar: Nitish government allow sale of books; Social distancing-lockdown strips, | बिहार: नीतीश सरकार ने किताबों की बिक्री की छूट दें उड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग-लॉकडाउन की धज्जियां, किताबों के लिए लग रही हैं लंबी कतारें

पटना सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में किताब की दुकानें खुलने से लोग बच्चों के किताबों के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं.

Highlightsबिहार में कोरोना वायरस संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 346 हुईबिहार सरकार के आदेश के बाद सूबे में किताब दुकानें खुलने लगी हैं.

पटना: बिहार में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. बावजूद इसके यहां सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का कोई मायने नहीं रह गया है. हालांकि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन की बातें दोहराते रहते हैं. लेकिन बिहार में  लॉकडाउन के दौरान किताबों की बिक्री की छूट देकर इसका धड़ल्ले से मजाक उड़ाया जा रहा है. हालात ऐसे हैं कि सरकार के आदेश के बाद सूबे में किताब दुकानें खुलने लगी हैं. जिसेक बाद से किताब के दुकानों पर अभिभावकों की भीड जुटनी शुरू हो गई है. लेकिन यहां सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उडता दिख रहा है. 

ऐसे में कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की यह चाल कहीं बिहारवासियों पर भारी न पड़ जाए. जानकारों का कहना है कि अगर अभी स्कूल जल्द खुल नही रहे हैं तो फिर किताबों की बिक्री की इतनी जल्दी क्यों रही? क्या एक-दो सप्ताह बाद जब स्थिती नियंत्रण में आ जाती तो बच्चे नही पढ़ लेते? अब पड़ोसी झारखंड सरकार ने तो यह ऐलान कर दिया है कि बच्चों की किताबें जून से पहले नही बिकेंगी. फिर बिहार में जल्दबाजी क्यों की गई? आखिर कौन सी ऐसे ए वस्तू थी, जिससे जनजीवन ठप हो रहा था? लोग तो अब यह भी कहने लगे हैं कि कही माफियाओं के इशारे पर तो नीतीश कुमार इन किताबों को बिकवाने के जल्दबाजी कर दिये हैं? वैसे भी जितनी किताबें बच्चों की पाठ्य पुस्तकों के तौर पर दी जा रही हैं, अगर समय से उनकी पढ़ाई नही की जाती हैं तो उन पुस्तकों का आखिर होगा क्या? ऐसे तामाम प्रश्न आज बिहार सरकार के खिलाफ लगने लगे हैं. कहा जा रहा है कि शिक्षा माफियाओं के दबाव में आकर ऐसा कदम उठाया गया है ताकि उनकी पूंजी निकल जाये. रही बच्चों की पढ़ाई तो वह तो स्थिती सामान्य होने के पहले इसे शुरू करना खतरे से खाली नही है. शायद इसी बातों से अवगत उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जून माह के पहले स्कूल नही खोले जाने का निर्णय ले लिया है.  

बिहार में भी कोरोना संक्रमितों के मिलने का सिलसिला जारी रहने के बीच राजधानी पटना सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में किताब की दुकानें खुलने से लोग बच्चों के किताबों के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं. लेकिन सरकार ने जो सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेंन करने की बात कही थी वो पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है. दुकान खुलते ही अभिभावक बच्चों के किताबों के लिए सुबह से ही दुकानों पर जुट जा रहे हैं. देखते ही देखते लंबी लाइनें लग जा रही हैं. लेकिन यहां न तो प्रशासन दिखाइ देता है और ना ही दुकानदार इसके लिए कोई ठोस कदम उठा पा रहे हैं. भीड़ के कारण लोग परेशान दिखाई दे रहे हैं. वहीं दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होना पटना के लोगों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. लोग अपनी जान हथेली पर लेकर के किताबें खरीदने के लिए लंबी कतारों में खडे दिखाई देते हैं. यह किसी एक जगह की बात नही है, बल्कि सभी स्कूलों और बिक्रेताओं के यहां की यही तस्वीरें हैं. ऐसे में यहां यह कहा जा सकता है कि नीतीश सरकार ने सभी को भगावन के भरोसे छोड मैदान में उतार दिया है.

Web Title: Bihar: Nitish government allow sale of books; Social distancing-lockdown strips,

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