पटनाः बिहार में अफसरशाही से न केवल आम लोग बल्कि खास लोग भी दो-चार होने लगे हैं। राज्य के अधिकारियों के आगे अब खास लोग भी बौने साबित होने को विवश हैं। हाल यह है कि राज्य के अधिकारी आम तो आम अब जनप्रतिनिधि को भी तवज्जो देना उचित नही समझते हैं। आम जनता का फोन नहीं उठाना तो आम बात है, लेकिन अधिकारी अब सांसद और विधायकों की बात भी नहीं सुनते। जिले के डीएम हो या एसपी जल्दी किसी का फोन उठाना मुनसिब नहीं समझते हैं। हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं, जो तुरंत रिस्पांस देते हैं।
लेकिन क्षेत्र की समस्या को लेकर सांसद और विधायक जब एसपी को फोन लगाते हैं तो उन्हें अधिकारियों की तरफ से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के जीजा एवं जमुई से सांसद अरुण भारती को भी दो चार होना पड़ा है।
बताया जाता है कि एक हत्या के सिलसिले में जब उन्होंने रोहतास के एसपी को फोन लगाया तो एसपी साहब ने बगैर उनकी बात सुने ही फोन काट दिया। इधर सांसद अरुण भारती हैलो-हैलो करते रह गए। दरअसल, सासाराम में हुए लोजपा कार्यकर्ता सरोज पासवान की हत्या के सिलसिले में सांसद ने जैसे ही एसपी से जिक्र किया एसपी ने फोन काट दिया।
यह महज एक उदाहरण मात्र है। जानकारों की मानें तो ऐसे ही वाकये से मंत्री श्रवण कुमार को भी दो-चार होना पड़ा था, बेगूसराय के डीआईजी ने उनसे बात करना ही मुनासिब नहीं समझा था। हालांकि इस संबंध में कई बार जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत कराने का प्रयास किया है। लेकिन अफसरशाही के आगे सभी बौने साबित होने को मजबूर दिखते हैं।