पटनाः कोरोना संक्रमण से जारी महामारी के बीच एलोपैथ और आयुर्वेदिक विवाद में पतंजलि योगपीठ के बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं.
बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) के बीच बीते दिनों से जारी विवाद में आज बुधवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के व्यवहार न्यायालय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवादी अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश की तरफ से अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने एक परिवाद पत्र दायर किया है.
परिवाद पत्र में उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय व शोध संस्थान के संयोजक स्वामी रामदेव बाबा पर आरोप लगाया है. बाबा रामदेव ने अलग अलग टीवी चैनलों पर एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान को ‘स्टुपिड’ करार देते हुए कोरोना से हुई डॉक्टरों की मौत का मजाक उड़ाया है. बताया जा रहा है मामले की सुनवाई 7 जून को होनी है.
सुधीर ओझा की ओर से दायर परिवाद में कहा गया है कि बाबा रामदेव एक सम्मानित व्यक्ति हैं और कोरोना महामारी में उनके द्वारा दिया गया एक बयान भ्रम पैदा कर सकता है. परिवाद में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चलाए गए वीडियो को सबूत के तौर पर पेश किया गया है.
परिवाद में आरोप लगाया गया है कि बाबा रामदेव के बयान से भ्रम पैदा हो सकता है और उनके अनुयायियों द्वारा डॉक्टरों पर हमला भी किया जा सकता है. बाबा रामदेव पर दायर परिवाद में आईपीसी सहित आपदा अधिनियम की धाराएं लगाई गई है.
ओझा ने अपने परिवाद में कहा है कि बाबा रामदेव पर धारा 268, 153 (ए), 186, 279, 188, 270, 336, 420, 499, 124(बी), 500, 505/511 एवं महामारी अधिनियम को लगाया है. यहां बता दें कि बाबा रामदेव और आईएमए के बीच कोरोना महामारी में एलोपैथ और आयुर्वेदिक दवा पर तकरार जारी है.
इधर, आईएमए ने पीएम मोदी को भी रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. आईएमए ने बाबा के खिलाफ महामारी एक्ट की धाराओं में कार्रवाई करने की मांग की थी. संस्था ने देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी इस मामले में स्टैंड लेने को कहा था. इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की ओर से रामदेव बाबा को एक पत्र लिखकर जिसमे रामदेव बाबा को अपना बयान वापस लेने को कहा गया था.