पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हुई करारी हार और कांग्रेस की सिर्फ छह सीटों पर सिमटने के बाद पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। मौजूदा नेतृत्व से नाराज कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को सदाकत आश्रम में धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के इस्तीफे की मांग की। इसी बीच बिहार महिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ सरवत जहां फातमा ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित करते हुए भेजा है।
अपने भावनात्मक पत्र में उन्होंने कहा कि वे “भारी मन लेकिन दृढ़ संकल्प” के साथ पद छोड़ रही हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं को मात्र 4 फीसदी प्रतिनिधित्व दिया गया, जो उनके लिए अत्यंत निराशाजनक रहा। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने खुद को नैतिक रूप से जिम्मेदार बताया।
डॉ सरवत जहां फातमा ने लिखा कि महिला नेतृत्व और राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने का लक्ष्य इस चुनाव में पूरा नहीं हो सका और यही उनके त्यागपत्र का प्रमुख कारण है। फातमा ने अपने पत्र में बताया कि पिछले 28 महीनों में बिहार महिला कांग्रेस ने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत किया।
बूथ से जिले तक टीमों का गठन, नियमित प्रशिक्षण, घर-घर संपर्क अभियान और स्थानीय मुद्दों पर सक्रिय हस्तक्षेप जैसे प्रयासों से उन्होंने व्यापक विस्तार का दावा किया। उन्होंने पार्टी के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि स्व. इंदिरा गांधी, स्व. राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी ने महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक योगदान दिया है।
और महिला कांग्रेस उसी विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास करती रही है। त्यागपत्र में उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि वे आगे भी संगठन और पार्टी के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगी। उधर, कांग्रेस ने चुनावी हार के बीच पार्टी-विरोधी गतिविधियों पर सख्त रुख अपनाते हुए ‘दगाबाज’ माने गए नेताओं को नोटिस थमा दिया है।
अनुशासन समिति की संस्तुति पर 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव के दौरान मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की लाइन से हटकर बयान दिए, जिससे संगठन की छवि और प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ा।
प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव यादव के हस्ताक्षर से जारी इस नोटिस में इन सभी से 21 नवंबर दोपहर 12 बजे तक लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। दरअसल, समिति ने चेतावनी दी है कि तय समय सीमा में जवाब नहीं मिलने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष तक निष्कासन भी शामिल है।
प्रदेश अनुशासन समिति का कहना है कि पार्टी अनुशासन और आंतरिक एकता सर्वोच्च है, और संगठन को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि को गंभीर उल्लंघन मानकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र छह सीटों पर सफलता मिली है।
वर्ष 2020 में कांग्रेस के 19 विधायक चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार पार्टी पूरी तरह से विफल रहा। कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान भी अपनी सीट बचाने में नाकाम साबित हुए। अब पार्टी में चुनावी हार के बाद कोहराम मचा है। कई नेता पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं।