बिहार विधान परिषदः रिटायरमेंट के बाद राजधानी में घर नहीं होने पर बेटा-बेटी मारते ताने?, पटना में हमें घर दो, एकजुट हुए सभी दल?
By एस पी सिन्हा | Updated: March 19, 2025 16:24 IST2025-03-19T16:23:29+5:302025-03-19T16:24:12+5:30
Bihar Legislative Council: विधानमंडल के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए पटना में एक अदद छत की व्यवस्था हो इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।

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पटनाः बिहार विधान परिषद में बुधवार को एक स्वर से राज्य के माननीयों को पटना में अपना घर की मांग उठाई गई। सभापति अवधेश नारायण सिंह ने भी इसमें सहमति दी। सिर्फ सहमति ही नहीं दी बल्कि सरकार से आग्रह किया कि सदस्यों को घर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद राजधानी में घर नहीं होने पर, बेटा-बेटी ताने मारते हैं। उन्होंने कहा कि नेताओं का नाम इतना खराब हो चुका है कि उन्हें कोई भाड़ा (किराया) पर मकान तक नहीं देता। ऐसे में विधानमंडल के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए पटना में एक अदद छत की व्यवस्था हो इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।
दरअसल, विधान परिषद में निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए पटना में आवास के लिए जमीन उपलब्ध कराने से जुड़ा सवाल किया गया था। इस पर सत्ता और विपक्ष के सदस्य एकजुट दिखे। सदस्यों को पटना में प्लॉट देने के सवाल पर सबसे पहले नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा जवाब देने उठे। उन्होंने कहा कि विधायकों-विधान पार्षदों को पटना में जमीन का प्लॉट देने का मामला सहकारिता विभाग से जुड़ा है।
उनके विभाग का यह मामला नहीं है। सहकारिता मंत्री ही इस पर जवाब दे सकते हैं। इस पर सभापति ने कहा कि सवाल भी सहकारिता विभाग से ही है। हम मंत्री विजय बाबू से कहेंगे कि इसके लिए समय दीजिए। सदस्यों का एक शिष्टमंडल इनसे जाकर मिले। इस पर विजय चौधरी ने सदन में कहा कि सहकारिता विभाग के मंत्री प्रेम कुमार सक्षम हैं।
वे कल ही विधानसभा में प्रेम बरसा रहे थे। आज यहां बरसाने वाले हैं। वहीं, मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि वर्ष 1998 में किए गए एक संशोधन के बाद ही निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए सहकारिता समितियों की जमीनों में दो प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान खत्म किया गया। इसके बाद वर्ष 2016 में भी इसी तरह से कोई बदलाव नहीं किया गया।
यही कारण है कि अब दोनों सदनों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को पटना में जमीन नहीं मिल पा रही है। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों एक एकजुट होकर इसमें बदलाव करने की मांग की। बाद में सभापति ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह सच है कि नेताओं का नाम इस कदर खराब हो चुका है कि उन्हें कोई भाड़ा पर मकान नहीं देता।
मंत्री विजय चौधरी ने इस मामले में कहा कि इसके निदान के लिए एक कमिटी के गठन की जरूरत है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है। इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात की जाएगी। साथ ही उन्होंने चुटकी ली कि अगर नेताओं को कोई मकान किराए पर नहीं देता है तो यह उनकी तारीफ है या शिकायत?
बाद में मंत्री प्रेम कुमार ने भी इसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर हम सहकारिता विभाग के जमीन सर्वे करेंगे और विधान परिषद सदस्यों तथा विधायकों के लिए जमीन आवास बनाने के लिए उपलब्ध कराने पर विचार करेंगे।