पटनाः राजद और तेजस्वी यादव की राजनीति में सांसद संजय यादव की बढ़ती पकड़ अब लालू परिवार के भीतर विरोध का कारण बनती जा रही है। पार्टी सांसद और तेजस्वी के सबसे करीबी माने जाने वाले संजय यादव के खिलाफ लंबे समय से मीसा भारती और तेज प्रताप यादव का रुख कड़ा रहा है। अब रोहिणी आचार्य भी इस पंक्ति में खड़ी हो गईं हैं। दरअसल, तेजस्वी यादव इन दिनों बिहार अधिकार यात्रा पर निकले हैं। इस यात्रा के लिए एक विशेष रथ(बस) तैयार किया गया है। जिसमें तेजस्वी के लिए आगे एक खास सीट तैयार की गई है।
बुधवार को इस सीट पर संजय यादव बैठकर घूमते नजर आए। रोहिणी आचार्य ने इसी के विरोध में लिखी गई एक फेसबुक पोस्ट को शेयर कर दिया है। रोहिणी ने गुरुवार को सुबह-सुबह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें रथ पर आगे की सीट पर संजय यादव बैठे नजर आ रहे हैं।
दरअसल, पटना निवासी आलोक कुमार ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की बस में संजय यादव को उस फ्रंट सीट पर बैठे दिखाया गया है, जो तेजस्वी की मानी जाती है। आलोक ने सवाल उठाया कि तेजस्वी की अनुपस्थिति में उनकी कुर्सी पर कोई और कैसे बैठ सकता है?
इसी पोस्ट को रोहिणी आचार्या ने बिना किसी टिप्पणी के अपने पेज पर शेयर कर दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि रोहिणी इस पोस्ट से पूरी तरह सहमत हैं। बता दें कि तेज प्रताप यादव अक्सर पार्टी और परिवार में ‘जयचंदों’ के होने की बात करते हैं। जानकारों के अनुसार उनका निशाना संजय यादव पर ही होता है। अब रोहिणी आचार्या ने भी फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर कर संकेत दिया है कि वे भी संजय से नाराज हैं।
वहीं, राजनीतिक हलकों में इसे संजय यादव के खिलाफ लालू परिवार में बढ़ते असंतोष का संकेत माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के निवासी संजय यादव कहने को तो राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन राजद में उनकी भूमिका रणनीतिकार और तेजस्वी के सबसे विश्वसनीय सलाहकार की है।
तेजस्वी से उनकी दोस्ती क्रिकेट के दिनों से शुरू हुई थी। बाद में लालू यादव के जेल जाने के बाद पटना लौटे तेजस्वी ने उन्हें राजनीति में भी साथ ले लिया। संजय यादव ने पार्टी की रणनीति और छवि को इस तरह गढ़ा कि आज राजद का नाम लेने पर लालू से ज्यादा तेजस्वी की तस्वीर उभरती है। फैसलों पर उनका असर इतना है कि कई नेता और परिवार के सदस्य उन्हें ‘अनौपचारिक केंद्र’ मानते हैं।
यही कारण है कि उनकी बढ़ती ताकत को लेकर परिवार के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है। रोहिणी आचार्या हाल ही में सारण लोकसभा सीट से बेहद कम अंतर से चुनाव हारी थीं और अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। ऐसे में संजय यादव के खिलाफ उनकी नाराजगी का सार्वजनिक होना न केवल पारिवारिक मतभेदों को उजागर करता है, बल्कि पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकता है।