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बिहार: जदयू ने आरसीपी सिंह को खड़ा किया भ्रष्टाचार के कटघरे में, उपेन्द्र कुशवाहा भी आ गये लपेटे में, लगा भ्रष्टाचार का आरोप

By एस पी सिन्हा | Updated: August 6, 2022 18:32 IST

जदयू नेता आरसीपी सिंह को भ्रष्टाचार के लिए कटघरे में खड़ा कर रहे संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गये हैं।

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ठळक मुद्देजदयू ने अपने वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उन्हें मुश्किल में डाल दिया हैअभी आरसीपी सिंह का मामला चल रही रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा भी भ्रष्टाचार की जद में आ गये हैंजदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को सबसे बड़ा भ्रष्ट बताया है

पटना:बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह मुश्किल में फंस गए हैं। उन्हें अपनी ही पार्टी जदयू ने नोटिस थमा दिया है। आरोप है कि पूर्व राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे आरसीपी सिंह ने अवैध तरीके से अकूत अचल संपत्ति बनाई है। पार्टी ने इस संबंध में आरसीपी सिंह को नोटिस जारी करके इस अनियमितता पर जवाब मांगा है।

इस तरह से आरसीपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बिहार में सियासत एक बार फिर गरमा उठी है। इस कड़ी में आज जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिक्रिया सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि बात सबके सामने है। पार्टी को उनके बारे में कुछ जानकारी मिली है, प्रथम दृष्टया यह भ्रष्टाचार का मामला लगता है। पार्टी अब उनका पक्ष जानना चाहती है। आगे की कार्रवाई आवश्यकतानुसार की जाएगी। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने खुद एक रास्ता अपनाया है, जहां उन्होंने मान लिया है कि वह अब पार्टी में नहीं हैं। इस बीच आरसीपी सिंह के करीबी माने जाने वाले जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने नीतीश कुमार से सीधा सवाल पूछा है।

उन्होंने कहा है कि आरसीपी बाबू पर भ्रष्टाचार का किसी ने कोई आरोप नहीं लगा है लेकिन करोड़ों रुपया लेकर टिकट बेचने के आरोपी उपेंद्र कुशवाहा किस नदी में नहाकर स्वच्छ हो गये हैं? क्या उपेंद्र कुशवाहा को इसलिए जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है कि वे पैसा वसूली कर और अवैध संपत्ति अर्जित कर सकें? कन्हैया सिंह ने कहा है कि तीन साल पहले 2019 में उपेंद्र कुशवाहा के सबसे करीबी माने जाने वाले व्यक्ति ने सबूत के साथ उनकी घूसखोरी की पोल खोली थी।

कन्हैया सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा उस वक्त राष्ट्रीय लोक समता पार्टी चलाते थे। 2019 में मीडिया के सामने प्रेस कांफ्रेंस कर रालोसपा के महासचिव प्रदीप मिश्रा ने उपेंद्र कुशवाहा के पैसा वसूली की पोल खोली थी। प्रदीप मिश्रा ने मीडिया को बताया था कि कुशवाहा ने उन्हें मोतिहारी संसदीय सीट से टिकट देने का भरोसा दिलाकर पैसे वसूले थे। 

उन्होंने कहा कि प्रदीप मिश्रा ने आरोप लगाया था कि टिकट देने का आश्वासन देकर उपेंद्र कुशवाहा ने उनसे 90 लाख रुपये लिए थे लेकिन बाद में इस सीट को ज्यादा पैसों में बेच दिया। कन्हैया सिंह ने कहा कि 2019 में प्रदीप मिश्रा नाम के शख्स ने उपेंद्र कुशवाहा की पैसा वसूली का पूरा सबूत दिया था।

प्रदीप मिश्रा ने कागजातों के साथ ये बताया था कि चुनावी टिकट के लिए उन्होंने 45-45 लाख के दो चेक दो किस्तों में उपेंद्र कुशवाहा के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नई दिल्ली स्थित पार्लियामेंट शाखा के खाते में जमा करवाए थे। उन्होंने कहा कि प्रदीप मिश्रा ने बकायदा सबूत दिया था कि उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा और उनके परिवार को कई दफे विदेश यात्रा कराया। कुशवाहा के घूमने, रहने-खाने से लेकर शॉपिंग तक का बिल मिश्रा ने दिया था। उपेंद्र कुशवाहा टिकट देने के लिए इस तरह की सारी वसूली कर रहे थे।

जेडीयू शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कन्हैया सिंह ने कहा है कि टिकट के लिए पैसा वसूली जैसे गंभीर आरोपों में फंसे उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में लाकर संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। संसदीय बोर्ड का मूल काम चुनाव में टिकट देना होता है। क्या कुशवाहा को इसलिए जदयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है कि वे पैसा वसूली कर सकें और संपत्ति अर्जित कर सकें? या फिर जदयू में आने से पहले उन्होंने गंगा नहा लिया है, जिससे उनके सारे पाप धुल गये हैं।

उन्होंने कहा कि आज तक किसी व्यक्ति ने ये आरोप नहीं लगाया है कि आरसीपी सिंह ने उससे किसी तरह का कोई पैसा या किसी दूसरे किस्म की कोई अवैध उगाही की है। आरसीपी सिंह खुद आईएएस रहे हैं, उनकी पुत्री आईपीएस हैं। परिवार में दो आईएएस और एक आईपीएस है। पूरे परिवार की छवि बिल्कुल बेदाग रही है। उन पर ऐसे लोग आरोप लगा रहे हैं, जिनके कारनामे जगजाहिर हैं।

सिंह ने कहा कि आरसीपी सिंह तीन दशक तक नीतीश कुमार के साथ रहे। चाहे नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री रहे हों या फिर बिहार के मुख्यमंत्री रहे हों। ये तो नीतीश जी को बताना चाहिये कि क्या उनके प्रधान सचिव रहते आरसीपी सिंह भ्रष्टाचार कर रहे थे? अगर वकाई वे भ्रष्ट थे तो इसकी भनक नीतीश जी को कैसे नहीं लगी? आरसीपी सिंह तो साया की तरह नीतीश कुमार के साथ रहे थे।

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