पटनाः बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर किये जा रहे हमले के बाद जदयू के विधान पार्षद उपेंद्र कुशवाहा ने उनकी ही भाषा में जवाब दिया है.
उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को चेतावनी दी और पिता लालू प्रसाद यादव के साथ रिश्ते की दुहाई भी दी. कुशवाहा ने ट्वीट कर कहा, 'कल बिहार विधान सभा में पक्ष-विपक्ष के एक्शन पर क्रिया/ प्रतिक्रिया का दौर जारी है और ऐसा स्वाभाविक भी है, लेकिन इससे दीगर नेता प्रतिपक्ष अपने पिता की उम्र के समतुल्य, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के प्रति जिन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.' कुशवाहा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि सुन लो तेजस्वी, जुबान पर लगाम लगाओ.
उन्होंने एक बड़ा खुलासा यह भी किया है कि तेजस्वी ने एक बार अपने पिता लालू प्रसाद यादव को शौचालय में बंद कर दिया था. ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जाए. उन्होंने आगे कहा, 'सुन लो तेजस्वी, हमने लगभग आजीवन लालू जी के विरोध में राजनीति की है, लेकिन हमेशा ही उनको 'ललूआ' कहने वाले को मुंहतोड़ जवाब दिया है. तुमको भी मेरी सलाह है- अपनी कब्र मत खोदो- जबान पर लगाम रखो, वरना नौंवी फेल कहने वालों को और मौका ही देते जाओगे..!'
कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज अगर लालू जेल से बाहर होते तो वे बेटों को समझाने की कोशिश करते, लेकिन बेटे उनकी बात कितनी मानते कह नहीं सकते हैं. शायद बेटों से अपमानित होने से बेहतर वे चुप रहना ही समझते. उन्होंने आगे कहा कि लालू के बेटे राजद में बड़े नेताओं का भी अपमान करते रहे हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह व जगदानंद सिंह के उदाहरण समाने ही हैं.
महागठबधन में रहते मेरा अपमान करने की हिम्मत जो वे नहीं कर सके, लेकिन आदत तो यही है. मुख्यमंत्री का अपमान बिहार की जनता का अपमान है. इस लिहाज से तो वे अब जनता का भी अपमान करने लगे हैं. यहां बता दें कि मंगलवार शाम को विधानसभा में हुई घटना के बाद तेजस्वी ने भाषाई मर्यादा को तोड़ दिया.
बुधवार को पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस फिर ट्विटर के जरिए उन्होंने न केवल नीतीश कुमार पर आरोप लगाए बल्कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कई आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. तेजस्वी ने नीतीश को 'सी ग्रेड' नेता करार दिया. उल्लेखनीय है कि कुशवाहा से पहले पूर्व मुख्यमंत्री व हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने तेजस्वी को ट्विटर पर घेरा था.
उन्होंने ट्वीट कर कहा था, 'कुछ आतंक परस्त लोग नहीं चाहते कि बिहार सुरक्षित रहे इसलिए सशस्त्र पुलिस विधेयक के विरोध की आड़ में सदन के अंदर स्पीकर को बंधक बना लिया गया, प्रदर्शन के नाम पर जनता को परेशान किया गया. कल की घटना एक सोची समझी साजिश का परिणाम है जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.'