शराबबंदी से बिहार पर कोई असर नहीं, 2 साल में हुई गांजे, चरस की तस्करी में दोगुनी बढ़ोत्तरी

By एस पी सिन्हा | Published: July 1, 2018 07:08 PM2018-07-01T19:08:45+5:302018-07-01T19:08:45+5:30

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद नशे के कारोबारियों ने गांजा की तस्करी के अलावा चरस और हेरोइन की तस्करी काफी बढा दी है। 2016 की तुलना में इन मादक पदार्थों की तस्करी में दोगुना से ज्यादा की बढोतरी दर्ज की गई है।

Bihar: In 2 year Doublel increase in drugs bihar CM Nitish kumar | शराबबंदी से बिहार पर कोई असर नहीं, 2 साल में हुई गांजे, चरस की तस्करी में दोगुनी बढ़ोत्तरी

शराबबंदी से बिहार पर कोई असर नहीं, 2 साल में हुई गांजे, चरस की तस्करी में दोगुनी बढ़ोत्तरी

पटना,1 जुलाई: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद नशे के कारोबारियों ने गांजा की तस्करी के अलावा चरस और हेरोइन की तस्करी काफी बढा दी है। 2016 की तुलना में इन मादक पदार्थों की तस्करी में दोगुना से ज्यादा की बढोतरी दर्ज की गई है। तस्करी की बढती घटनाओं और बरामदगी को देखते हुए चौकसी काफी बढा दी गई है।
हाल ही में एसएसबी के डीजी ने बिहार दौरा करके राज्य पुलिस के आला अधिकारियों और अपनी टुकडी के साथ खास बैठक की थी। इस दौरान भी इस समस्या पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई। इसके बाद ही चौकसी बढाने के साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है। इसके तहत नेपाल सीमा पर एसएसबी के दो बटालियन अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है।

इससे सीमा पर एक पीओपी (प्लेस ऑफ पोस्ट) से दूसरे के बीच की दूरी काफी कम हो जायेगी। सीमा पार आने-जाने वालों की चेकिंग समेत जांच की अन्य प्रक्रिया पहले से तेज कर दी गई है। वहीं, बिहार पुलिस के आंकडे बताते हैं कि शराबबंदी लागू होने से पहले गांजा, चरस और अफीम की खपत यहां नहीं के बराबर थी। वर्ष 2016 के अप्रैल में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद गांजा, चरस और अफीम के साथ-साथ हेरोइन की बरामदगी हो रही है। नशीले पदार्थों की उपज, तस्करी और खरीद-बिक्री के खिलाफ कार्रवाई करने वाली राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों की चुनौतियां बढ चुकी हैं। प्रतिदिन राज्य के किसी न किसी स्थान से गांजे की किसी बडी खेप की बरामदगी होती है।

आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार बताते हैं कि नशीले पदार्थों की तस्करी को लेकर वर्ष 2017 में कुल 531 मामले दर्ज किए गए हैं। मौजूदा वर्ष के पहले पांच महीनों में 168 केस दर्ज किए जा चुके हैं। 

बताया जाता है कि बिहार में नशीले पदार्थों की हो रही लगातार बरामदगी के कारण राज्य के सभी 38 जिलों में ऐसे गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है, जहां बरामद नशीले पदार्थों को जब्त करके तबतक सुरक्षित रखा जा सके जबतक कि संबंधित मामले का निपटारा अदालत से नहीं हो जाता है। शराबबंदी से पहले राज्य में नशीले पदार्थों की तस्करी का आंकडा कभी सौ की संख्या भी पार नहीं करता था और नही सरकार को ऐसे गोदामों के निर्माण कर जरूरत महसूस हुई थी।

राज्य के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार गया के बाराचट्टी प्रखंड के चार पंचायतों में पिछले कई दशक से नक्सलियों के संरक्षण में अफीम की खेती होती रही है। ऐसा नहीं है कि यहां होने वाली अफीम की खेती की जानकारी सरकार और प्रशासन को नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे इसे रोकने की कवायद तेज की गई खेती का रकबा बढता गया। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मानें तो इस साल भी बाराचट्टी के चार प्रखंडों की पांच सौ एकड से भी अधिक भूमि पर अफीम के पौधे लगाए गए थे।

पिछले दिनों बाराचट्टी होकर गुजरने वाली जीटी रोड पर बने ढाबों से अफीम और डोडा चूडा की हो रही बिक्री की खबरों ने न केवल बिहार पुलिस की बल्कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआइ) जैसी केंद्रीय एजेंसियों की नींद हराम कर दी है। नोरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने गया के बाराचट्टी प्रखंड के जीटी रोड पर कई ऐसे ढाबों पर छापेमारी कर लाखों रुपये कीमत के अफीम, चरस और डोडा चूडा बरामद किए हैं।कई ढाबा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। 

सूत्रों की मानें तो बिहार में जीटी रोड पर नशे के ढाबे अभी भी मदहोशी का सामान बेच रहे हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के सूत्र बताते हैं कि गया के बाराचट्टी प्रखंड के चार पंचायत भलुआ, जयगीर, बूमेर और धनगई अफीम की खेती के लिए कुख्यात हो चुके हैं। विगत फरवरी-मार्च में ब्यूरो की टीम ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से बाराचट्टी के उपरोक्त चारों पंचायतों में 224 एकड़ में फैली अफीम की खेती को नष्ट किया गया था। ब्यूरो का मानना है कि करीब इतने ही रकबे से स्थानीय लोग अफीम की फसल काटने में सफल भी हुए हैं। ब्यूरो के अधिकारी बताते हैं कि बाराचट्टी में होने वाली अफीम की खेती अब भयावह रूप लेने लगी है।

यहां तक कि उस इलाके के गरीब बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। क्योंकि गरीब बच्चों को अफीम के नशे में भूख महसूस नहीं होती। डीआरआइ की टीम ने पिछले साल वैशाली में एक ऐसी फैक्टरी का उद्भेदन किया था, जहां अफीम से विभिन्न तरह के नशीले पदार्थों का निर्माण किया जा रहा था। मौके से डीआरआइ के अधिकारियों ने अफीम को परिष्कृत कर उससे अन्य नशीले पदार्थ तैयार करने वाले कई उपकरण भी बरामद किए थे। शराबबंदी के बाद बिहार के कई जिले गांजा तस्करों के चारागाह के रूप में सामने आए हैं। इनमें राजधानी पटना समेत भोजपुर, सारण और वैशाली शामिल हैं। इन चारों जिलों से ही गांजे की सर्वाधिक बरामदगी की हुई है।

Web Title: Bihar: In 2 year Doublel increase in drugs bihar CM Nitish kumar

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