बिहार में विलुप्त होने के कगार पर हैं बगुले, खेती और पर्यावरण के लिए हैं अशुभ संकेत

By एस पी सिन्हा | Updated: November 13, 2021 17:30 IST2021-11-13T17:28:58+5:302021-11-13T17:30:05+5:30

खेतों में जिस प्रकार से किटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है, इस कारण जहां कल तक बगुले अपने भोजन की तलाश में आते थे, वहां अब बगुले नजर नहीं आ रहे हैं. 

Bihar Herons verge extinction inauspicious sign agriculture and environment | बिहार में विलुप्त होने के कगार पर हैं बगुले, खेती और पर्यावरण के लिए हैं अशुभ संकेत

बगुला खेत, तालाब व कम पानी के अंदर से कीड़ा का सफाया भी करते थे.

Highlights बगुलों के आने से किसानों व पर्यावरण को फायदा होता था. गिद्ध के बाद अब बगुले भी लोगों की आंखों से ओझल होते जा रहे हैं.बगुले के बीट से पेड़ के सूखने का खतरा रहता था.

पटनाः बिहार में बगुले विलुप्त होने के कगार पर हैं. खेतों में अब बगुले नजर नहीं आते हैं. एक समय था जब खेत व तालाबों के किनारे बगुले झुंड में नजर आते थे. अब बिरले ही कहीं नजर आते हैं.

 

 

जिस तेजी से आबादी बढ़ी है और खेतों में जिस प्रकार से किटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है, इस कारण जहां कल तक बगुले अपने भोजन की तलाश में आते थे, वहां अब बगुले नजर नहीं आ रहे हैं. जानाकरों के अनुसार बगुलों के आने से किसानों व पर्यावरण को फायदा होता था. लेकिन अब बगुले न के बराबर आ रहे हैं.

हाल यह है कि गिद्ध के बाद अब बगुले भी लोगों की आंखों से ओझल होते जा रहे हैं, जबकि ये पहले झुंड में दिखाई देते थे. एक जमाने में कहावत थी कि "गये पेड़ जो बगुला बैठे." अर्थात बगुले के बीट से पेड़ के सूखने का खतरा रहता था, लेकिन यही बगुला खेत, तालाब व कम पानी के अंदर से कीड़ा का सफाया भी करते थे.

जिससे पर्यावरण की रक्षा होती थी. लेकिन अब फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग ने बगुले को विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिया है. इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं, जो शिकार कर इसका मांस खाते हैं. किसानों का कहना है कि बगुले की कमी भविष्य के लिए खतरा है.

कारण कि खेत की जुताई से लेकर कटाई तक बगुला किसान का सहयोगी रहा है. जुताई के समय बगुले के झुंड हल के पीछे-पीछे दिन भर चलते थे व खेत के अंदर से निकलने वाले एक-एक कीट को चुनकर खा जाते थे. वहीं, पटवन के दौरान बगुला कीट को खाता था.

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि बगुले किसानों के अच्छे दोस्त हैं. फसलों की सुरक्षा करते हैं. फसलों में हानिकारक कीडे़ लगते हैं, जिसे बगुला चुनकर खाते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को इन पक्षियों को बचाने की योजना बनानी चाहिए. अगर पक्षियों को विलुप्त होने से नही बचाया गया तो भविष्य में फसलों के लिए भारी नुकसानदेह साबित होगा. केवल कीटनाशकों के सहारे फसलों को नही बचाया जा सकता है.

Web Title: Bihar Herons verge extinction inauspicious sign agriculture and environment

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