बिहार स्वास्थ्य व्यवस्थाः लाचार मरीज, बेबस मंत्री?, एम्स से लेकर आईजीआईएमएस तक एंबुलेंस के लिए भटकती रही महिला रोगी

By एस पी सिन्हा | Updated: April 9, 2025 16:11 IST2025-04-09T16:10:09+5:302025-04-09T16:11:01+5:30

Bihar health system: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं, जहां मोबाइल के फ़्लैश लाइट से मरीज का डॉक्टर ने इलाज किया।

Bihar health system Helpless patient helpless minister Female patient kept wandering AIIMS to IGIMS for ambulance | बिहार स्वास्थ्य व्यवस्थाः लाचार मरीज, बेबस मंत्री?, एम्स से लेकर आईजीआईएमएस तक एंबुलेंस के लिए भटकती रही महिला रोगी

सांकेतिक फोटो

Highlightsसासाराम, नवादा सहित कई जिलों से तस्वीरें सामने आई हैं।जिला से लेकर अनुमंडलीय अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है।स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के आवास पर बनाए गए रोगी सुविधा केन्द्र से भी गुहार लगाई थी।

पटनाः बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्षेत्र में सुधार के भले ही सरकार के द्वारा दावे किए जाते हों, लेकिन व्यवस्था में सुधार होती नहीं दिख रही है। हाल यह है कि अभी हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के द्वारा लिखित पुस्तक बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में मंगल ही मंगल का विमोचन बड़े ही धूमधाम से किया गया। लेकिन सच्चाई ठीक इसके उलट दिखाई देती है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंत्री सेल में बने रोगी सुविधा केन्द्र भी बेहाल है। रोगी सुविधा केन्द्र के द्वारा अस्पतालों को भेजे गए निर्देश को भी अस्पताल प्रशासन ताक पर रख देता है। इसी कड़ी में आज भोजपुर जिले से गंभीर स्थिति में पटना के बड़े अस्पतालों में भर्ती होने आई एक महिला लहासो देवी एम्स से लेकर आईजीआईएमएस तक एंबुलेंस पर भटकती रही। लेकिन किसी भी अस्पताल में उसे भर्ती नहीं लिया गया। जबकि उसके करीबियों ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के आवास पर बनाए गए रोगी सुविधा केन्द्र से भी गुहार लगाई थी।

लेकिन शायद मंत्री सेल की बात को अस्पताल प्रशासन ने अनसुना कर दिया अथवा मंत्री सेल भी सफेद हाथी की तरह दिखावे का केन्द्र बना हुआ है। राजधानी पटना के अलावे जिलों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में गंभीर कमियों को उजागर किया गया है।

जिसमें संसाधनों की भारी कमी और बजट का कम उपयोग शामिल है। हाल यह है कि स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए लंबी-चौड़ी बातें जरूर सुनने को मिलती है। लेकिन चरमराई स्वास्थ्य सेवा के कारण स्वास्थ्य केंद्र बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है। लोगों का कहना है कि जब अस्पताल खुद ही बीमार है तो यहां लोगों का इलाज कैसे संभव हो पाएगा।

डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट इंडिया, हेल्थ फॉर ऑल, आयुष्मान भारत जैसी विभिन्न योजनाओं के बीच लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा तक उपलब्ध नहीं होना जनता के रहनुमाओं को आईना दिखाने के लिए काफी है। लापरवाह व हांफती स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते मजबूरी में लोग निजी क्लिनिक व निजी चिकित्सक के शरण में जाने को मजबूर हैं।

जहां गरीबों के शोषण में कोई परहेज नहीं किया जाता है। आज के इस दौर में कोरोना संक्रमण के कारण जहां स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त दुरुस्त करने का सरकार दंभ भर रही है, वहीं सरकार की स्वास्थ्य सेवा को मुंह चिढ़ा रही है। स्वास्थ्य विभाग में घोर अनियमितता देखी जा रही है। राज्य सरकार भले ही बेहतर सुविधाओं के दावा करती है, लेकिन धरातल पर अभी भी तस्वीर नहीं बदली है।

बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं, जहां मोबाइल के फ़्लैश लाइट से मरीज का डॉक्टर ने इलाज किया। इसमें सासाराम, नवादा सहित कई जिलों से तस्वीरें सामने आई हैं। कुल मिलाकर बिहार सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी जिला से लेकर अनुमंडलीय अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है।

Web Title: Bihar health system Helpless patient helpless minister Female patient kept wandering AIIMS to IGIMS for ambulance

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