पटनाः बिहार चुनाव में प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी करने के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगी। वहीं, कैबिनेट की बैठक के बाद नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे और वर्तमान विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी। 20 नवंबर को नीतीश कुमार बिहार के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में पटना के गांधी मैदान में आयोजित भव्य समारोह में शपथ लेंगे। गांधी मैदान में नीतीश कैबिनेट के शपथ ग्रहण की तैयारी चल रही है।
कड़ी सुरक्षा में पंडाल निर्माण और अन्य कार्य चल रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी समारोह में शामिल होंगे। राजभवन के सूत्रों की मानें तो 20 नवंबर को नयी सरकार का गठन होगा। सोमवार को हुई नीतीश कैबिनेट की अंतिम बैठक में मौजूदा सरकार को भंग करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। भाजपा और जदयू विधायक दल की बैठक मंगलवार को होगी।
उसके बाद एनडीए की संयुक्त बैठक में नीतीश कुमार को नेता चुना जा सकता है। जदयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी ने कहा कि मंत्री परिषद की बैठक हुई। निर्णय लिया गया कि वर्तमान विधानसभा को 19 तारीख के प्रभाव से विघटित कर दिया जाए। मुख्यमंत्री के माध्यम से इसे राज्यपाल को सौंप दिया गया है।
सरकार के पूरे कार्यकाल में जो उपलब्धियां मिली हैं, इसके सफल निष्पादन के लिए पदाधिकारियों की सराहना की गई है। चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत पर मुख्यमंत्री को बधाई दी है कि उनके नेतृत्व में एनडीए सफलता के चरम पर पहुंच गया है। नीतीश कुमार अपने सहयोगियों के साथ राजभवन पहुंचे थे। उनके साथ सम्राट चौधरी समेत सभी मंत्री भी मौजूद थे।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि नीतीश कुमार 19 नवंबर को इस्तीफा सौंपने के बाद नई सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले पहले नेता हैं। वहीं पटना के गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। प्रशासन ने सुरक्षा एवं प्रबंधन को देखते हुए 17 से 20 नवंबर तक आम जनता की एंट्री बंद कर दी है।
शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की भी प्रबल संभावना है, जिससे यह आयोजन और भी भव्य होने वाला है। बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में तीन प्रस्ताव पास हुए हैं।
पहले प्रस्ताव के तहत वर्तमान विधानसभा 19 नवंबर के प्रभाव से विद्यटित करने की अनुशंसा कैबिनेट ने की है। मुख्यमंत्री जी के द्वारा महामहिम को अनुशंसा दे दिया गया है। दूसरा प्रस्ताव में पूरे कार्यकाल में बिहार के पदाधिकारियों-कर्मियें ने जो सकारात्मक सहयोग दिय। सरकार की नीतियों को सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया, मुख्य सचिव के साथ तमाम कर्मियों के सेवा की सराहना की गई।
तीसरा प्रस्ताव, संपन्न चुनाव में एनडीए के नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो भारी सफलता, प्रचंड बहुमत मिला, उसके लिए मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए आभार व्यक्त किया गया। इस बीच सियासी गलियारों में चर्चा है कि 19 नवंबर को होने वाली विधायक दल की बैठक में नए मंत्रिमंडल को लेकर अंतिम रूपरेखा पर चर्चा होगी।
वहीं इसी दिन जदयू विधायक दल की बैठक भी होगी। उधर, एनडीए की ओर से भी नए समीकरणों और विभागों के बंटवारे पर मंथन जारी है। नीतीश कुमार इस्तीफा देकर भी अभी प्रशासनिक रूप से सक्रिय रहेंगे। राज्यपाल द्वारा नई सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख तय होने तक वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते रहेंगे।
वहीं, जनता और राजनीतिक जानकारों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि नई कैबिनेट में किसे कितनी जगह मिलती है और सत्ता का संतुलन किस रूप में बनता है। बिहार की राजनीति में यह दिन इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि नीतीश कुमार एक बार फिर नई सियासी संरचना की ओर कदम बढ़ा चुके हैं।
इधर राजद के नव निर्वाचित विधायकों और हारे हुए प्रत्याशियों को पटना तलब किया गया। तेजस्वी यादव ने उनकी बैठक ली। चुनाव परिणाम के बार एनडीए में जहां चहल पहल है तो राजद और कांग्रेस के खेमे में सन्नाटा है। लालू परिवार में कलह चरम पर है।
रोहिणी के बाद लालू की तीन बेटियां राजलक्ष्मी, चंदा और रागिनी पटना से दिल्ली मीसा भारती के पास चली गई हैं। जदयू नेता अशोक चौधरी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह वाकई बेहद दुखद और पीड़ादायक होता है जब किसी का परिवार बिखरने की कगार पर पहुंच जाता है।