पटना: बिहार में आज नीतीश कुमार के लिए परीक्षा की घड़ी है। महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर एनडीए में वापसी करके मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे नीतीश को आज विधानसभा में बहुमत साबित करना है लेकिन मौजूदा घटनाक्रम को देखें तो स्थितियां उनके बेहद अनुकूल नहीं लग रही हैं।
वैसे जदयू, भाजपा और हम का दावा है कि उनके पास नीतीश सरकार को चलाने के लिए पर्याप्त बहुमत है लेकिन विपक्षी महागठबंधन का दावा है कि नीतीश कुमार सत्ता की खोखली जमीन पर खड़े होकर बिहार को हांक रहे हैं।
पटना विधानसभा में होने वाले रस्साकशी के खेल से पहले आज बिहार कांग्रेस के नेता डॉ. शकील अहमद खान ने सनसनीखेज दावा करते हुए नीतीश सरकार को चुनौती देते हुए कहा, "पहले उन्हें बहुमत के आधार पर स्पीकर को हटाना होगा और हमारे मुताबिक उनके पास बहुमत नहीं है।"
वहीं कांग्रेस के इस दावे के बीच आज होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल इमान ने भी साफ किया कि वो नीतीश सरकार के खिलाफ वोट करेंगे। विधायक इमान ने कहा, "एआईएमआईएम का रुख स्पष्ट है कि हम सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ वोट करेंगे।"
कांग्रेस और एआईएमआई के इस बयान के इतर बीजेपी और जेडीयू का दावा है कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है। वहीं राजद का कहना है कि नीतीश कुमार अब बस कुछ ही देर के लिए मुख्यमंत्री हैं। इस बीच स्पीकर की भूमिका को लेकर हो रही बयानबाजी में बिहार के मंत्री और जदयू नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा, "आज सिर्फ दो चीजें होंगी...स्पीकर साहब या तो खुद ही पद छोड़ दें, नहीं तो उन्हें हटा दिया जाएगा और दूसरा, सरकार विश्वास मत हासिल करेगी...हमारे सभी विधायक हमारे संपर्क में हैं।"
मालूम हो कि नीतीश कुमार के महागठबंधन से बाहर निकलने और एनडीए में लौटने के कुछ दिनों बाद बिहार में उनकी सरकार सोमवार को विश्वास मत के दौरान अपनी पहली बड़ी परीक्षा का सामना करने के लिए तैयार है।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में नीतीश कुमार के जदयू के 45 विधायक हैं, जबकि उसके सहयोगियों, भाजपा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर (एचएएम-एस) के पास क्रमशः 79 और 4 मौजूदा विधायक हैं। एक अन्य निर्दलीय विधायक के समर्थन से सदन में एनडीए के पास महागठबंधन के 115 विधायकों के मुकाबले 128 विधायक हैं।
बिहार विधानसभा में आज संपन्न होने वाले शक्ति परीक्षण में नीतीश कुमार की नई सरकार को बहुमत के आंकड़े को पार करने के लिए 122 विधायकों के वोटों की जरूरत है।
इस महीने की शुरुआत में नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन और विपक्षी इंडिया गठबंधन को अलविदा कहते हुए भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पाले में चले गये और नई सरकार बना ली।
नीतीश कुमार ने अपने और बिहार में महागठबंधन के भविष्य को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए गुजरे 28 जनवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जो 18 महीने से भी कम समय में उनका दूसरा पलटवार था। राजद और कांग्रेस से नाता तोड़कर जदयू सुप्रीमो ने भाजपा और एनडीए में उसके सहयोगियों के समर्थन से नई सरकार बनाई है।