Bihar Election Exit Poll 2020: तीन मौकों पर Exit Polls हुए हैं गलत, पलट सकती है बाजी

By गुणातीत ओझा | Published: November 9, 2020 03:45 PM2020-11-09T15:45:07+5:302020-11-09T16:04:27+5:30

एग्जिट पोल के नतीजों के बावजूद एनडीए को पूरी उम्मीद है कि वे वापस बिहार की सत्ता पर काबिज होंगे। एनडीए को साइलेंट और महिला वोटरों को लेकर एक आशा की किरण दिख रही है।

Bihar Elextion Exit Poll 2020 Exit Polls have gone wrong on three occasions result can be shocking | Bihar Election Exit Poll 2020: तीन मौकों पर Exit Polls हुए हैं गलत, पलट सकती है बाजी

ऐसे समझें बिहार चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजों का गुणा-गणित।

Highlightsबिहार चुनाव के एग्जिट पोल ने राज्य में महागठबंधन को बढ़त लेते हुए दिखाया है।बिहार में एग्जिट पोल के अनुमान कई बार गलत साबित हुए हैं।

पटना। बिहार में अबकी बार किसकी सरकार बनेगी? क्या बिहार में विकास पर रोजगार का मुद्दा भारी पड़ गया है? क्या बिहार की जनता ने परिवर्तन के लिए वोट किया है? दरअसल एग्जिट पोल आने के बाद से ही बिहार में यह चर्चा आम हो चुकी है।बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आने वाले हैं। नतीजों से पहले सभी एग्जिट पोल ने राज्य में महागठबंधन को बढ़त लेते हुए दिखाया है। एग्जिट पोल के नतीजों के बावजूद एनडीए को पूरी उम्मीद है कि वे वापस बिहार की सत्ता पर काबिज होंगे। एनडीए को साइलेंट और महिला वोटरों को लेकर एक आशा की किरण दिख रही है। भाजपा और जेडीयू दोनों के नेताओं का मानना है कि साइलेंट वोटर बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम में करिश्मा कर सकता है। एग्जिट पोल में साइलेंट वोटर्स की राय ले पाना मुश्किल होता है। 10 नवंबर को आने वाला अंतिम परिणाम चौंकाने वाला हो सकता है।

बिहार में एग्जिट पोल का इतिहास 

आइये अब आपको बताते हैं.. बिहार में एग्जिट पोल के अनुमान कितने सटीक साबित हुए हैं। 2005, 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित नहीं हुए थे। 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता में वापसी का किसी ने अनुमान नहीं लगाया था। वहीं 2010 विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सही नहीं रही थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स में भाजपा के गठबंधन सरकार बनाने की उम्मीद जताई गई थी, जबकि महागठबंधन को उसबार बंपर बहुमत मिला था।

वोट प्रतिशत से जानें क्या चाहता है बिहार

अब बात करते हैं वोट प्रतिशत की.. कहा जाता है कि मतदान में इजाफा सत्ता विरोध का सूचक होता है। देश के कई राज्यों में जब भी ऐसा हुआ है तो सत्ता बदल जाती है। जबकि बिहार में इस प्रचलित धारणा से बिल्कुल अलग ट्रेंड है। यहां मतदान प्रतिशत घटता है तो सत्ता में बदलाव होता है। पिछले तीस सालों के आंकड़े इसी बात का गवाह हैं। उदाहरण के लिए सन 2000 की तुलना में 2005 में वोट कम हुए थे तो सत्ता में बदलाव हो गया था। इसके बाद मतदान प्रतिशत बढ़ा तो सत्ता में बदलाव नहीं हुआ। इसके बाद 2015 में 56.66 और उससे पहले 2010 में मतदान प्रतिशत 52.67 फीसदी रहा था। जाहिर है कि यह 2000 से अधिक ही रहा। सत्ता के नेचर में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। फिलहाल विधानसभा चुनाव 2020 में मतदान प्रतिशत पिछले तीन चुनावों की तुलना में बराबर ही रहा है। इस बार मतदान 56 से 57 फीसदी के बीच में ही रहा है। सियासी जानकारों के मुताबिक आंकड़ों के हिसाब से मतदान का यह प्रतिशत बताता है कि दोनों महागठबंधन एवं एनडीए में कांटे की की टक्कर होगी।

बिहार में मतदाताओं का भूगोल

बिहार में अगर मतदाताओं की बात करें तो यहां 78 विधानसभा क्षेत्रों में 2 करोड़ 35 लाख मतदाता हैं। इनमें से 1 करोड़ 23 लाख पुरुष मतदाता, 1 करोड़ 12 लाख महिला मतदाता और 894 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। इस चरण में जदयू के 37, भाजपा के 35, राजद के 46 उम्मीदवार और कांग्रेस के 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें राज्य में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच कांटे के मुकाबले पर हैं। चुनाव में एनडीए जहां सत्ता विरोधी कारक को टालने के लिये जोर लगा रही है, वहीं महागठबंधन भी पूरे जोश में है।

Web Title: Bihar Elextion Exit Poll 2020 Exit Polls have gone wrong on three occasions result can be shocking

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