कोयले की कमी के कारण बिहार-झारखंड में बिजली उत्पादन पर असर, लोड शेडिंग से जूझ रहे दोनों राज्य

By एस पी सिन्हा | Updated: October 8, 2021 18:03 IST2021-10-08T17:59:50+5:302021-10-08T18:03:04+5:30

बिहार को बिजली देने वाले सभी बिजली घरों में कोयले का स्टॉक फिलहाल अपने न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचा है.

Bihar Electricity in Bihar Jharkhand affected due to shortage of coal | कोयले की कमी के कारण बिहार-झारखंड में बिजली उत्पादन पर असर, लोड शेडिंग से जूझ रहे दोनों राज्य

बिहार-झारखंड में बिजली का संकट (फाइल फोटो)

Highlightsबिहार-झारखंड के दो बडे एनटीपीसी में शामिल कहलगांव व फरक्का के पास बस एक दिन का कोयलाबिहार को 20 से 25 फीसदी कम बिजली की सप्लाई मिल पा रही हैछोटे शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों में आगे आने वाले दिनों में संकट और ज्यादा गहरा सकता है.

पटना: देश में जारी कोयले की कमी के कारण बिहार-झारखंड के दो बडे एनटीपीसी में शामिल कहलगांव व फरक्का के पास अब मात्र एक दिन का कोयला बचा है. ईसीएल की राजमहल कोल परियोजना, ललमटिया से वर्तमान में 10 रैक की जगह मात्र चार रैक कोयले की आपूर्ति की जा रही है. 

इसके तहत तीन रैक कहलगांव तथा मात्र एक रैक कोयला फरक्का को आपूर्ति की वजह से दोनों एनटीपीसी के पास कोयले का अभाव हो गया है. 

बिहार और झारखंड के पावर प्लांटों में भी इसका असर दिखने लगा है. पूरे राज्य में लोड शेडिंग कर बिजली की आपूर्ति की जा रही है. बिजली उत्पादक कंपनियों ने राज्य की बिजली आपूर्ति में कटौती कर दी है. बिजली इकाइयों को कोयले की सप्लाई प्रभावित हुई है. लिहाजा उत्पादन में कमी आ गई है. 

बिहार को 20 से 25 फीसदी कम बिजली

बिजली घरों में कोयला संकट गहराने के कारण यह हालात पैदा हुए हैं जिसका नतीजा है कि बिहार को 20 से 25 फीसदी कम बिजली की सप्लाई मिल पा रही है. फिलहाल हालात ऐसे हैं कि राज्य के सभी जिला मुख्यालयों को छोडकर अन्य इलाकों में बिजली का संकट पैदा हो गया है. 

छोटे शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में आगे आने वाले दिनों में संकट और ज्यादा गहरा सकता है. बताया जाता है कि कोयले के उत्पादन में कमी का असर पूरी तरह से दोनों ताप विद्युत परियोजना को पडनेवाली है. राजमहल कोल परियोजना में लगातार दो साल से जमीन के कारण कोयले का उत्पादन कम हो रहा है. 

बिजली संकट से निपटने के लिए बिजली कंपनी बाजार से महंगे दर पर बिजली खरीद कर सप्लाई करने में जुटी हुई है. बाजार से 16 से 20 रुपये प्रति यूनिट बिजली ली जा रही थी. देर शाम तक बिहार में 5000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही थी. जबकि कुल डिमांड 6000 मेगावाट से अधिक है. 

हालांकि राहत की बात यह रही कि रात के वक्त इसकी डिमांड घट गई. फिलहाल पटना और दूसरे बड़े शहरों को छोड़कर बाकी अन्य शहरों और ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती करनी पड़ी है. 

कोयले का स्टॉक न्यूनतम स्तर पर

बिहार को बिजली देने वाले सभी बिजली घरों में कोयले का स्टॉक फिलहाल अपने न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचा है. बाढ़ क्षेत्र बिजली घर की एक यूनिट को इसी कारण से मेंटेनेंस में डाल दिया गया है. 

बिजली कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक रोटेशन के आधार पर बिजली की कटौती की जा रही है. कांटी थर्मल पावर प्लांट फिलहाल ठप है और एनटीपीसी कहलगांव में भी उत्पादन पहले से कम हो गया है. 

उधर, सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद के मुताबिक लगातार हुई बारिश की वजह से कोयला के खनन में गिरावट आई थी. लेकिन अब हालात पहले से बेहतर हुए हैं. खनन का काम प्रभावित होने के कारण बिजली घरों को कोयले की सप्लाई पूरी तरह से नहीं हो पा रही थी. 

जानकारों के अनुसार प्रभावित क्षेत्र तालझारी गांव में जमीन अधिग्रहण के बावजूद ग्रामीणों के विरोध के कारण खनन कार्य शुरू नहीं कर पाया है. जमीन की कमी के कारण राजमहल कोल परियोजना में अभी कोयले का उत्पादन घटकर मात्र 10 हजार टन प्रतिदिन रह गया है. जहां पहले हर दिन 60 हजार टन कोयले का उत्पादन होता था. इस वजह से कहलगांव व फरक्का एनटीपीसी को हर दिन 10 से 12 हजार टन कोयले की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है. 

कोयले की आपूर्ति कम होने की वजह से दोनों ताप विद्युत परियोजना की स्थिति बेहद खराब हो गई है. राजमहल परियोजना में हेड क्वार्टर के निदेशक व टेक्निकल पहुंच कर नजर बनाये हुए हैं. जमीन संकट से उबरने के लिए भरपूर कोशिश की जा रही है. परियोजना के महाप्रबंधक प्रभारी देवेंद्र कुमार नायक व परियोजना के पदाधिकारी जमीन समस्या से निजात पाने में लगे हैं.

Web Title: Bihar Electricity in Bihar Jharkhand affected due to shortage of coal

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