पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए चुनाव आयोग की 9 सदस्यीय उच्चस्तरीय टीम पटना पहुंची है। यह टीम राज्य में आगामी चुनाव की तैयारियों का फीडबैक लेने, मतदाता सूची पुनरीक्षण, मतदान केंद्रों की स्थिति और सुरक्षा व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर समीक्षा करेगी।
टीम के आगमन के साथ ही चुनाव संबंधी गतिविधियों में गति आ गई है। पटना पहुंचने के बाद गुरुवार को आयोग की टीम राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक और चुनाव अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है। इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव की अब तक की तैयारियों का फीडबैक लिया गया।
साथ ही, मतदाता सूची, मतदान केंद्रों की स्थिति, प्रशिक्षण व्यवस्था, ईवीएम-वीवीपैट की उपलब्धता, लॉजिस्टिक और सुरक्षा इंतजामों पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके बाद चुनाव आयोग की टीम राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा करेगी, जहां वे जिलाधिकारियों, जिला निर्वाचन पदाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ भी अलग-अलग बैठकें करेंगी।
इन बैठकों में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि स्थानीय स्तर पर चुनाव की तैयारी किस स्थिति में है? विशेष रूप से यह देखा जाएगा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य कितनी प्रगति पर है। मतदान केंद्रों की अवस्थिति कैसी हैं? दिव्यांग मतदाताओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या विशेष सुविधाएं उपलब्ध होंगी? आदर्श आचार संहिता के लिए प्रशासन की तैयारी क्या है? कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है?
चुनाव आयोग की टीम में वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, आईटी विशेषज्ञ और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, जो मतदान प्रक्रिया में डिजिटल सिस्टम और पारदर्शिता से जुड़ी तैयारियों की भी समीक्षा करेंगे। यह टीम तीन दिन तक बिहार के अलग-अलग जिलों में निरीक्षण और बैठकें करेगी। इसके बाद टीम दिल्ली लौटेगी और मुख्य चुनाव आयुक्त को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर ही बिहार विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त का संभावित बिहार दौरा भी इसी रिपोर्ट पर आधारित होगा। इस बीच चुनाव आयोग ने वोटरों आईडी कार्ड में सुधार के लिए विशेष जांच प्रक्रिया की घोषणा की है, जिसके वोटर लिस्ट में जारी रही गलतियों में सुधार किया जा सके। इसके तहत 2003 में मतदाता सूची में शामिल नहीं होने वाले सभी मौजूदा मतदाताओं को फिर से अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
वहीं चुनाव आयोग के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। राजद सांसद मनोज झा ने बिहार चुनाव से महज कुछ महीने पहले लिए गए चुनाव आयोग के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इस बार विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर महागठबंधन के दल चुनाव आयोग के पास जाएंगे।
मनोज झा ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए अभी पर्याप्त समय नहीं है। बिहार का चुनाव सितंबर के आखिरी में है और अधिसूचना भी जल्द जारी होगी। ऐसे में क्या चुनाव आयोग ने इस फैसले को लेकर सभी संबंधित पक्षों से बात की है? उन्होंने कहा कि अगर यह प्रक्रिया 8 महीने पहले और पारदर्शिता के साथ होती, तो बेहतर होता। अब चुनाव नजदीक है।
ऐसे में इतनी जल्दी वोटर लिस्ट जांच प्रक्रिया पूरा करने में परेशानी होगी। इसलिए महागठबंधन का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग के पास जाएगा और कहेगा कि इस प्रक्रिया को प्रॉक्सी चुनाव आयोग का पिछले चुनावों में प्रदर्शन संदिग्ध रहा है, 2020 के चुनाव में हमने इसका अनुभव किया है। मनोज झा ने कहा कि हम चुनाव आयोग से कहेंगे कि आप किसी राजनीतिक दल के संरक्षक नहीं बल्कि सभी मतदाताओं के हैं।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने 2003 के बाद पहली बार विशेष गहन पुनरीक्षण का फैसला किया है, जिसमें मतदाताओं की जन्म तिथि की जांच की जाएगी। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे, उनकी जांच की जाएगी।