Bihar Chunav 2025: राजद ने स्व. शरद यादव के बेटे के साथ कर दिया खेला, पहले टिकट दिया फिर ले लिया वापस, मधेपुरा में देखा जा रहा है सियासी हलचल

By एस पी सिन्हा | Updated: October 17, 2025 20:14 IST2025-10-17T20:14:05+5:302025-10-17T20:14:12+5:30

शांतनु यादव को रात के 11:30 बजे में बुलाकर टिकट प्रोफेसर चंद्रशेखर को दे दिया गया। इसके बाद मधेपुरा की धरती एक बार फिर सियासी उबाल पर है। 

Bihar Elections 2025: RJD has played a trick on the late Sharad Yadav's son, first giving him a ticket and then taking it back. Madhepura is witnessing political turmoil | Bihar Chunav 2025: राजद ने स्व. शरद यादव के बेटे के साथ कर दिया खेला, पहले टिकट दिया फिर ले लिया वापस, मधेपुरा में देखा जा रहा है सियासी हलचल

Bihar Chunav 2025: राजद ने स्व. शरद यादव के बेटे के साथ कर दिया खेला, पहले टिकट दिया फिर ले लिया वापस, मधेपुरा में देखा जा रहा है सियासी हलचल

पटना: समाजवादी नेता स्व. शरद यादव के बेटे शांतनु यादव को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले राजद पार्टी का सिंबल दिया, लेकिन देर रात उनसे सिंबल वापस ले लिया गया। शांतनु यादव को रात के 11:30 बजे में बुलाकर टिकट प्रोफेसर चंद्रशेखर को दे दिया गया। इसके बाद मधेपुरा की धरती एक बार फिर सियासी उबाल पर है। 

टिकट वापस लेने के बाद शरद यादव के बेटे शांतनु यादव ने अपने खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र होने का आरोप लगाया है। शांतनु ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, तस्वीर में एक ओर उनके पिता शरद यादव तो दूसरी ओर वो खुद हैं वहीं तेजस्वी यादव बीच में हैं, जिन्होंने शांतनु यादव के हाथ को ऊपर उठाया है।

यह प्रतीकात्मक तस्वीर शरद यादव के चुनाव जीतने का संकेत दे रहा है। वहीं इसके साथ ही शांतनु ने लिखा है कि "मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ। समाजवाद की हार हुई"। बता दें कि, मधेपुरा का यह इलाका हमेशा से समाजवादी आंदोलन की प्रयोगशाला रहा है। 

वीपी मंडल, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने यहां की राजनीति को नई दिशा दी। यह इलाका कभी कांग्रेस के प्रभाव में रहा, फिर समाजवादी धारा ने इसे अपने रंग में रंग दिया। यहां हर चुनाव विचारधारा से ज़्यादा व्यक्तित्वों की टक्कर का मंच बनता रहा है। 

राजनीतिक समीकरणों में इस बार सबसे बड़ा उलटफेर तब हुआ जब राजद ने शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला यादव को मधेपुरा विधानसभा सीट से सिंबल थमा दिया। वर्तमान विधायक डॉ. चंद्रशेखर यादव का टिकट काटे जाने की खबर से राजद खेमे में हलचल मच गई। 

सियासी गलियारों में अब चर्चा है कि क्या यह निर्णय लालू यादव की रणनीति का हिस्सा है या फिर संगठन के भीतर की खींचतान का परिणाम। जानकारों का कहना है कि यह कदम राजद की “डैमेज कंट्रोल” नीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि स्थानीय नाराजगी शांत रहे।

मधेपुरा में यह संघर्ष अब सिर्फ सीट का नहीं, बल्कि समाजवाद बनाम यादव की वैचारिक जंग का रूप लेता दिख रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह चुनाव तय करेगा कि कोसी का ताज किसके सिर पर सजता है। इसबीच शरद यादव की बेटी सुहासिनी यादव और बेटे शांतनु यादव के सोशल मीडिया पोस्ट ने राजद और लालू परिवार के साथ उनके संबंधों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

शुक्रवार को सुहासिनी यादव ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में बिना नाम लिए राजद नेतृत्व पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा कि जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या सगे होंगे। जो अपने ही परिवार के वफादार नहीं, वो किसी और के लिए कैसे भरोसेमंद हो सकते हैं? ये विश्वासघात की पराकाष्ठा और उनकी असहजता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके तुरंत बाद, शरद यादव के बेटे शांतनु यादव ने भी मधेपुरा का जिक्र करते हुए लिखा, मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ। समाजवाद की हार हुई।

यह घटनाक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शरद यादव और लालू प्रसाद यादव की दोस्ती और दुश्मनी बिहार की राजनीति का एक अहम अध्याय रही है। शरद यादव ने लालू यादव को अपना “बड़ा भाई” मानते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में किंगमेकर की भूमिका निभाई थी। हालांकि, 1997 में जनता दल के अध्यक्ष पद को लेकर दोनों के रास्ते अलग हो गए और लालू यादव ने राजद का गठन किया। 

इसके बाद मधेपुरा की धरती दोनों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई का गवाह बनी, जहां 1999 में शरद यादव ने लालू यादव को हराया भी था। वर्षों की राजनीतिक दूरी के बाद, शरद यादव ने 2022 में अपनी पार्टी ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ का विलय राजद में कर दिया था। 

इस विलय को शरद यादव की अपनी राजनीतिक विरासत अपने बच्चों, खासकर शांतनु यादव को सौंपने और उनके राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश के रूप में देखा गया था। माना जा रहा था कि राजद शांतनु को उनके पिता की कर्मभूमि मधेपुरा से मौका देगी।

Web Title: Bihar Elections 2025: RJD has played a trick on the late Sharad Yadav's son, first giving him a ticket and then taking it back. Madhepura is witnessing political turmoil

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