पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां लगातार तेज होती जा रही हैं। इसी क्रम में केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के बिहार में चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान ने रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिष्टाचार मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में आगामी चुनाव की तैयारियों और एनडीए की रणनीति को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई मुलाकात के दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी मौजूद रहे।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह बैठक एनडीए के भीतर सीटों के फॉर्मूले को लेकर प्रारंभिक बातचीत का संकेत है। दरअसल, सीट शेयरिंग बड़ा विवाद बनता रहा है। एनडीए में भी घटक दलों के बीच अभी तक सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में धर्मेन्द्र प्रधान की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात उस पेंच को सुलझाने और चुनाव अभियान को एनडीए मजबूती से आगे बढ़ाए उस दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है। धर्मेन्द्र प्रधान की भूमिका एनडीए के दलों के बीच सामंजस्य बैठाने और एनडीए को एकजुट रखकर चुनावी मैदान में उतारने की है।
ऐसे में जानकारों का कहना है कि भाजपा का फोकस इस बार संगठन विस्तार और नए चेहरों को मौका देने पर रहेगा। जबकि जदयू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे और उनकी छवि के सहारे चुनाव लड़ना चाहती है। आगामी दिनों में धर्मेन्द्र प्रधान की कई दौर की बैठकें प्रदेश भाजपा और जदयू नेताओं के साथ हो सकती हैं, जिससे चुनावी खाका और साफ हो जाएगा।
बता दें कि धर्मेन्द्र प्रधान पहले भी 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार भाजपा के प्रभारी रह चुके हैं और उस समय एनडीए गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था। इस बार भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है और सीटों के बंटवारे सहित संगठन की मजबूती की अहम जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और धर्मेंद्र प्रधान के बीच लगभग 20 मिनट तक बातचीत चली। इस दौरान दोनों नेताओं ने चुनावी तैयारियों, उम्मीदवारों के चयन और गठबंधन के समन्वय को लेकर विचार-विमर्श किया।
चर्चा के बाद धर्मेंद्र प्रधान अब नई रणनीति तैयार करेंगे। जिससे इस मुलाकात के महत्व को और भी बढ़ा-चढ़ाकर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन सरकार चला रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धर्मेंद्र प्रधान की यह मुलाकात केवल औपचारिकता भर नहीं थी, बल्कि इसमें चुनावी समीकरणों को लेकर ठोस रणनीति पर चर्चा हुई है।
खासकर, भाजपा और जदयू दोनों ही दल विपक्षी गठबंधन की तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं। कांग्रेस और राजद पहले से ही राज्य में सक्रियता बढ़ा रहे हैं। ऐसे में सत्ताधारी गठबंधन किसी भी तरह का जोखिम उठाने के पक्ष में नहीं है। यही वजह है कि सीट शेयरिंग जैसे अहम मुद्दे पर समय रहते बातचीत शुरू की गई है। ऐसे में आने वाले दिनों में एनडीए दलों के बीच सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा हो सकती है।