पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। मंगलवार को शाम 5 बजे 121 सीटों पर चुनावी भोंपू शांत हो जाएगा। प्रथम चरण के लिए 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इस दौरान मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर,बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, भोजपुर और बक्सर जिलों मतदान होगा। इन सीटों में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की सीट राघोपुर का फैसला भी होना है।
गंगा के दियारा क्षेत्र में बसी राघोपुर विधानसभा सीट इन दिनों बिहार की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट बनी हुई है। तेजस्वी यादव इस सीट से लगातार तीसरी जीत की तलाश में हैं, लेकिन इस बार उनके लिए यह किला फतह करना आसान नहीं दिख रहा है। खराब भौगोलिक स्थिति और बदलते सियासी समीकरणों के कारण यह सीट तेजस्वी के लिए चुनौती बन गई है।
जिसके चलते उनकी बहनें और मां भी लगातार मोर्चा संभाले हुए हैं। तेजस्वी यादव की व्यस्त चुनावी दिनचर्या में शनिवार को 16 जनसभाएं शामिल थीं, जिनका समापन लालू प्रसाद के ‘गढ़’ कहे जाने वाले राघोपुर के शिवनगर में होना था। लेकिन खराब मौसम के कारण कई जनसभाएं रद्द होने के बावजूद, तेजस्वी ने राघोपुर का कार्यक्रम नहीं छोड़ा।
उन्होंने पायलट से पटना में उतरने का अनुरोध किया और फिर देर शाम सड़क मार्ग से शिवनगर पहुंचे। मतदाताओं से भावुक अपील करते हुए तेजस्वी ने कहा कि वे इस बार सिर्फ एक विधायक नहीं, बल्कि एक मुख्यमंत्री चुनने जा रहे हैं। उन्होंने वादा किया कि महागठबंधन की सरकार बनने पर राघोपुर में डिग्री कॉलेज और आधुनिक अस्पताल बनाया जाएगा।
क्योंकि “ये कामवा मुख्यमंत्री से ही होगा।” उन्होंने मतदाताओं से उन्हें जीत की चिंता से मुक्त करने की अपील की, ताकि वह पूरे बिहार में प्रचार कर सकें। इस सीट पर लालू परिवार का वर्चस्व रहा है। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी दोनों इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब तेजस्वी के लिए उनकी बहनें रोहिणी आचार्य और रागिनी शिवनगर में उनके रोड शो में शामिल हुईं।
इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और राजद सांसद मीसा भारती भी लगातार इस क्षेत्र में प्रचार कर रही हैं, जो दर्शाता है कि लालू परिवार इस सीट को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता। पटना के पड़ोसी जिले वैशाली में गंगा के दियारा क्षेत्र के रूप में मशहूर राघोपुर की कठिन स्थलाकृति (कठिन भौगोलिक स्थिति) हमेशा से चुनाव प्रचार और प्रशासन के लिए मुश्किल रही है।
हालांकि, गंगा नदी पर नए पुल के निर्माण से अब इसकी पहुंच पटना से आसान हो गई है। लेकिन इस बार सबसे बड़ा बदलाव राजनीतिक समीकरणों में आया है।बता दें कि 2020 में एनडीए के साथ चिराग पासवान (लोजपा) नहीं थे, जबकि इस बार चिराग पासवान (लोजपा-रामविलास) एनडीए में हैं। राघोपुर हाजीपुर संसदीय सीट का हिस्सा है, जिसका प्रतिनिधित्व चिराग पासवान करते हैं।
उनका मजबूत पासवान वोट बैंक यहां निर्णायक असर डाल सकता है। राघोपुर में यादवों के बाद अनुसूचित जाति और राजपूत मतदाताओं की अच्छी खासी उपस्थिति है। एनडीए ने इस बार अपना पुराना और स्थानीय यादव चेहरा सतीश कुमार को मैदान में उतारा है। सतीश कुमार वही नेता हैं जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को हराया था।
उनके जरिए एनडीए यादव वोटों में सेंधमारी की कोशिश कर रहा है। जन सुराज ने भी यहां चंचल कुमार को मैदान में उतारा है, जिससे त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। राजद भी एनडीए खेमे में चिराग पासवान की मौजूदगी से उत्पन्न नई चुनौतियों से अवगत है। राजद के दलित चेहरे शिव चंद्र राम यहां प्रचार कर रहे हैं, जो पिछले लोकसभा चुनावों में चिराग पासवान के खिलाफ राजद के उम्मीदवार थे।
दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय लगातार सतीश कुमार के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं और पंचायत प्रतिनिधियों से मिल रहे हैं। इस बार तेजस्वी यादव के सामने केवल सतीश कुमार की व्यक्तिगत चुनौती नहीं, बल्कि चिराग पासवान के मजबूत वोट बैंक और एनडीए की एकजुटता की संयुक्त चुनौती है, जो इस सीट पर तीसरी बार की जीत को उनके लिए सबसे कठिन परीक्षा बना रही है।
तेजस्वी की तरह सतीश भी यादव बिरादरी से नाता रखते हैं और यह यदुवंशी बिरादरी के दबदबे वाला क्षेत्र है। पहले वह लालू परिवार के करीबी हुआ करते थे। लेकिन राजनीतिक वजहों से वह राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए, फिर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने राघोपुर से लगातार तीसरी बार सतीश को तेजस्वी के खिलाफ उतारते हुए मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।
राघोपुर सीट पर लालू परिवार की एंट्री होती है साल 1995 से। तब तत्कालीन विधायक उदय नारायण राय ने लालू यादव के लिए यह सीट खाली की थी। इस चुनाव में लालू को यहां से जीत मिली। फिर 2000 में जब चुनाव हुआ तो लालू को फिर से जीत हासिल हुई। लेकिन इस बार चुनाव में वह दो जगहों से लड़े थे और दोनों जगहों से विजयी हुए।
उन्होंने दानापुर सीट के लिए राघोपुर सीट छोड़ दी। ऐसे में यहां पर जब उपचुनाव कराया गया तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुकाबले में उतारा। राबड़ी यहां पर मुकाबला जीतने में कामयाब रहीं। राघोपुर विधानसभा में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग है।
यहां एसटी मतदाताओं की संख्या लगभग है। इसी तरह मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग है।2020 विधानसभा चुनाव के अनुसार राघोपुर विधानसभा के कुल मतदाता 344369 हैं। राघोपुर विधानसभा के मतदान केंद्रों की संख्या 505 है।