लखनऊः बिहार विधानसभा चुनाव में अबकी अकेले ही मैदान में उतरी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का जादू बिहार की जनता पर नहीं चला.बीते तीन दशक से बसपा सुप्रीमो मायावती बिहार में पार्टी की जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस बार भी वहां चली एनडीए की आंधी ने मायावती की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पार्टी 188 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके. मात्र छह सीटों पर ही पार्टी एनडीए और महागठबंधन को टक्कर देती हुई दिखाई दी. यही नहीं इस चुनाव में मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी अपनी कोई छापा नहीं छोड़ सके है.
बिहार की जनता पर मायावती और आकाश आनंद का जादू चलता हुआ नहीं दिखा. बिहार में बसपा का यह हाल भी तब हुआ है जबकि उत्तर प्रदेश की तरह बिहार की सियासत में भी दलित समाज की भूमिका निर्णायक मानी जाती है. बिहार में 19 प्रतिशत से अधिक एससी और 36 प्रतिशत ईबीसी की आबादी है.
इस वोट बैंक के भरोसे की मायावती को उम्मीद थी कि बिहार में इस बार बसपा सबसे बेहतर प्रदर्शन करेगी. इसी सोच के तहत मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद जो पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं के साथ पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक एवं राज्यसभा सदस्य रामजी गौतम को बिहार में तैनात किया था.
इसके साथ ही मायावती ने लखनऊ में पार्टी के संस्थापक काशीराम की जयंती पर एक बड़ी रैली कर दलित समाज की एकजुटता का संदेश दिया था.मायावती को भरोसा था कि लखनऊ में हुई दलित समाज की रैली का असर बिहार के दलित समाज पर पड़ेगा. जिसका लाभ बिहार की 214 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले पार्टी उम्मीदवारों को मिलेगा.
लेकिन बीच चुनाव में भी मायावती की उम्मीदें खत्म होने लगी क्योंकि बसपा के 214 उम्मीदवारों में से 26 के पर्चे खारिज हो गए. बची 188 सीटों पर उम्मीदवारों को मायावती के चुनाव प्रचार से अपने जीतने की उम्मीद थी, लेकिन मायावती सिर्फ एक ही दिन चुनाव प्रचार करने के लिए बिहार गई. इस कारण बसपा के पक्ष में माहौल नहीं बना.
आकाश आनंद भी बिहार के युवाओं को बसपा से जोड़ने में सफल नहीं हुए.परिणाम स्वरूप 188 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी बसपा मात्र चार सीटों पर ही मुक़ाबले करते हुए दिखाई दी.जिन सीटों पर बसपा मुकाबला करते हुए दिखी, वह भी यूपी से सटे बिहार के जिलों की है.
यूपी की सीमा से सटे बिहार के गोपालगंज, कैमूर, चंपारण, सिवान और बक्सर आदि जिलों में कई बसपा प्रत्याशियों के चुनाव में टक्कर दी. रामजी गौतम कहते हैं कि पार्टी ही चुनावी रणनीति बिहार में एनडीए की चली आंधी के चलते हवा में उड़ गई लेकिन बिहार में अपनी ताकत को हमने दिखाया है. यहां की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी सतीश कुमार पिंटू महागठबंधन और एनडीए के उम्मीदवार की जीत में बाधा बने हुए हैं. इस सीट पर फिर के वोट गिने जा रहे हैं.
बिहार में बीते वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में बसपा महालोकत्रांतिक सेकुलर मोर्चा में शामिल होकर 80 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. तब पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज कराने के साथ ही छह लाख से ज्यादा वोट हासिल किया था. इस बार छह लाख से अधिक वोट पाने का दावा रामजी गौतम कर रहे हैं.