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शाहाबाद, मगध और सीमांचल में 68 सीट?, फिर से नीतीशे कुमार या पहली बार मुख्यमंत्री बनेंगे तेजस्वी यादव, जानें सत्ता की चाबी किसके हाथ?

By एस पी सिन्हा | Updated: November 13, 2025 19:49 IST

Bihar Election Result 2025: मतदान प्रतिशत भी अधिक रहा है और कयास लगाए जा रहे हैं कि यहीं से तय होगा सत्ता की चाबी किसके हाथ जाएगी।

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ठळक मुद्देBihar Election Result 2025: शाहाबाद क्षेत्र में भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर जैसे चार जिले आते हैं।Bihar Election Result 2025: पिछले चुनाव यानी 2020 में एनडीए को यहां करारा झटका लगा था।Bihar Election Result 2025: कुल 22 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें उसके खाते में आईं, भोजपुर की बड़हरा और आरा सीट।

पटनाःबिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम में यह तय होने जा रहा है कि सूबे का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे अथवा तेजस्वी की सरकार बनेगी। दोनों ओर से की जा रही दावों के बीच मतगणना के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हई हैं। दरअसल, इस बार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन, दोनों ही “अंतिम वार, नहीं स्वीकार हार” के मूड में चुनावी मैदान में उतरे। सबसे ज्यादा नजर शाहाबाद, मगध और सीमांचल पर रही। इन तीनों इलाकों में मतदान प्रतिशत भी अधिक रहा है और कयास लगाए जा रहे हैं कि यहीं से तय होगा सत्ता की चाबी किसके हाथ जाएगी।

शाहाबाद क्षेत्र में भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर जैसे चार जिले आते हैं। पिछले चुनाव यानी 2020 में एनडीए को यहां करारा झटका लगा था। कुल 22 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें उसके खाते में आईं, भोजपुर की बड़हरा और आरा सीट। बाकी 20 सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था। कैमूर, रोहतास और बक्सर जिलों में तो एनडीए का खाता तक नहीं खुला था।

इस बार एनडीए की पूरी कोशिश है कि इन जिलों में कुछ नई सीटें जीती जाएं ताकि नुकसान की भरपाई हो सके। मगध क्षेत्र में गया, जहानाबाद, अरवल और औरंगाबाद जिले शामिल हैं। यहां की 26 सीटों में से 2020 में एनडीए को सिर्फ 5 सीटें मिली थीं। गया की चार सीटों पर उसने जीत दर्ज की थी, लेकिन बाकी ज्यादातर सीटों पर महागठबंधन का दबदबा रहा।

इस बार एनडीए की नजर यहां की 21 सीटों पर है, जहां वह पिछली बार हार गी थी। सीमांचल यानी पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज। यह इलाका हमेशा से चुनावी तौर पर खास माना जाता है। यहां के 20 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 सीटें अभी एनडीए के पास हैं, जबकि किशनगंज में उसका खाता भी नहीं खुला।

यही वजह है कि इस बार एनडीए सीमांचल में विकास और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर पूरा जोर लगाती दिखी। कुल मिलाकर, शाहाबाद, मगध और सीमांचल की लड़ाई इस बार एनडीए के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। जितनी ज्यादा सीटें ये तीन इलाके देंगे, सत्ता तक पहुंचने की एनडीए की राह उतनी ही मजबूत होगी।

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