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Bihar Election 2025: इंडिया गठबंधन में अभी भी घमासान, नामांकन का समय खत्म होने में 2 दिन बाकी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 19, 2025 10:18 IST

Bihar Election 2025: माना जा रहा है कि कांग्रेस 2020 की तुलना में कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी, हालांकि सटीक संख्या अभी स्पष्ट नहीं है।

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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने में महज दो दिन शेष हैं, लेकिन विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में भ्रम की स्थिति शनिवार को भी समाप्त होती नहीं दिखी। यह बहुदलीय गठबंधन सीट बंटवारे की घोषणा न कर पाने के लिए "नए सहयोगियों को समायोजित करने" की मजबूरी को जिम्मेदार ठहरा रहा है, लेकिन शनिवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इससे किनारा करते हुए घोषणा की कि वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगा और छह सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा।

गठबंधन में प्रमुख सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अब तक कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुका है जिसमें कई ऐसी सीट हैं, जहां उसने अपने ही सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिए हैं। लेकिन वह अब तक अपने प्रत्याशियों की एक समेकित सूची जारी नहीं कर पाया है।

कांग्रेस ने कुछ दिन पहले अपनी पहली सूची में 48 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे और शुक्रवार को एक और नाम का ऐलान किया। अब उसने शनिवार देर शाम पांच और उम्मीदवारों की घोषणा की, जिनमें किशनगंज सीट भी शामिल है। हालांकि कांग्रेस ने इस सीट से अपने मौजूदा विधायक इजहारुल हुसैन को टिकट न देकर एक दलबदलू नेता को मैदान में उतारा है।

किशनगंज से कांग्रेस उम्मीदवार कमरुल होदा पहले एआईएमआईएम के टिकट पर 2019 के उपचुनाव में विजयी हुए थे, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। उन्होंने दो वर्ष पहले राजद का दामन थामा था और अब वह कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले राजद के दूसरे नेता हैं। इससे पहले ऋषि मिश्रा को जाले सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। कांग्रेस की नई सूची में कसबा सीट से इरफान आलम का नाम भी शामिल है।

पहले इस सीट से पूर्व मंत्री अफाक आलम को लगातार चौथी बार मौका देने की चर्चा थी, लेकिन पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की नाराजगी की आशंका को देखते हुए पार्टी ने इरफान आलम को उम्मीदवार बना दिया। आलम कभी जद (यू) में थे और अब पप्पू यादव के करीबी हैं। पूर्णिया विधानसभा सीट से कांग्रेस ने जितेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है, जिनकी पत्नी शहर की महापौर हैं, जबकि गया नगर सीट से उप महापौर महेंद्र कुमार श्रीवास्तव को टिकट दिया गया है।

माना जा रहा है कि कांग्रेस 2020 की तुलना में कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी, हालांकि सटीक संख्या अभी स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इधर पटना में कांग्रेस के कई नाराज नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन कर एआईसीसी प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पर “टिकट बेचने” के गंभीर आरोप लगाए और गड़बड़ी के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

विपक्षी गठबंधन के कम से कम आठ सीटों पर दो सहयोगी दलों के बीच सीधा मुकाबला होने की स्थिति है। इनमें से तीन सीटों पर तो राजद और कांग्रेस आमने-सामने आ सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, आरक्षित सीट कुटुंबा से जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं, वहां भी राजद अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। इससे नाराज राम ने सोशल मीडिया पर कई तीखे पोस्ट किए, जिन पर कांग्रेस नेतृत्व ने नाराजगी जताई है। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, “हम समझौते के बेहद करीब हैं। नामांकन वापसी की अंतिम तारीख तक तस्वीर साफ हो जाएगी।”

उधर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भी सबकुछ ठीक नहीं दिखा, भले ही गठबंधन के सभी घटक दलों ने समय पर अपनी सीटें और उम्मीदवार घोषित कर दिए हों। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) ने अंतिम क्षणों में अमौर सीट से राज्यसभा के पूर्व सदस्य साबिर अली को टिकट दे दिया।

इससे पहले पार्टी ने इस सीट से सबा जफर को उम्मीदवार बनाया था, जिन्होंने 2020 में दूसरा स्थान हासिल किया था और 2015 में भाजपा के टिकट पर जीते थे। दिलचस्प बात यह है कि साबिर अली को 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण जद(यू) से निष्कासित किया गया था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए। राजग को मरहौरा सीट पर भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी, जहां लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार और भोजपुरी अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया।

अब यह सीट पूर्व मंत्री और राजद के मौजूदा विधायक जितेंद्र कुमार राय के पक्ष में एकतरफा मानी जा रही है, हालांकि जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार अभय सिंह उन्हें कुछ चुनौती दे सकते हैं। चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने “छोटी सी तकनीकी भूल” के लिए निर्वाचन आयोग से पुनर्विचार की मांग की है। 

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