Bihar Election 2025: महागठबंधन के अंदर सीटों के तालमेल को लेकर जारी है रार, कांग्रेस के बढ़े हौसले से मुश्किल हुआ सीटों का तालमेल

By एस पी सिन्हा | Updated: September 10, 2025 14:58 IST2025-09-10T14:58:42+5:302025-09-10T14:58:52+5:30

Bihar Election 2025: इसी वजह से राहुल गांधी और अन्य बड़े नेताओं के लगातार दौरे का कार्यक्रम बनाया जा रहा है।

Bihar Election 2025 There is tussle going on in Mahagathbandhan in Bihar regarding seat adjustment seat adjustment has become difficult due to the increased enthusiasm of Congress | Bihar Election 2025: महागठबंधन के अंदर सीटों के तालमेल को लेकर जारी है रार, कांग्रेस के बढ़े हौसले से मुश्किल हुआ सीटों का तालमेल

Bihar Election 2025: महागठबंधन के अंदर सीटों के तालमेल को लेकर जारी है रार, कांग्रेस के बढ़े हौसले से मुश्किल हुआ सीटों का तालमेल

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर तकरार की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। दरअसल, इस बार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी सक्रियता ज्यादा ही बढा दी है। मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की बिहार इकाई के प्रमुख नेताओं के साथ अहम बैठक की। वहीं, बुधवार को कांग्रेस स्क्रीनिंग कमिटी की अहम बैठक हुई। इसमें बिहार के संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा हुई। प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और अन्य बड़े नेता आवेदनों पर विचार करेंगे। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में दावेदार दिल्ली पहुंच चुके हैं और टिकट के लिए पैरवी कर रहे हैं।

इस बीच सहयोगी दलों की आपसी खींचतान अब खुलकर सामने आ रही है। खासकर भाकपा-माले की 40 सीटों की मांग ने गठबंधन की रणनीति को गहराई से प्रभावित किया है। कांग्रेस, वीआईपी और अन्य सहयोगी दलों की सीटों को लेकर अपनी-अपनी जिद इस गठबंधन को और अधिक पेचीदा बना रही है। 2020 में बने सीट बंटवारे के फार्मूले को दोहराना अब मुश्किल नजर आ रहा है। उस समय जो संतुलन बन पाया था, वह अब टूटता हुआ दिख रहा है। कांग्रेस जहां 70 सीटों पर अड़ी हुई है, वहीं वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को भी करीब 60 सीटें चाहिए। भाकपा- माले की ताजा मांग ने राजद को असहज स्थिति में डाल दिया है क्योंकि वह खुद सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी सीमित सीटों पर सिमट सकती है। इसके साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर भी महागठबंधन में मतभेद गहराते जा रहे हैं। वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी ने भले ही तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार के रूप में समर्थन दिया हो, लेकिन कांग्रेस अब तक इस पर खुलकर कुछ नहीं कह पाई है। इससे महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि इस बार कांग्रेस पिछली बार की तरह लगभग 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में है। बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने बताया कि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत सकारात्मक दिशा में है और महागठबंधन के सभी दलों के बीच "अंडरस्टैंडिंग" बन रही है। 

बिहार के महागठबंधन में आठ दल शामिल हैं। इन दलों में राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा और वीआईपी हैं। अब इसमें झामुमो और रालोजपा भी शामिल हो गए हैं। ऐसे में महागठबंधन के लिए निश्चित रूप से सीटों का बंटवारा करना आसान नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक, पशुपति पारस की पार्टी को दो से तीन सीटें मिल सकती हैं और इन सीटों से खुद पशुपति पारस और उनके बेटे विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, झामुमो की अगुवाई में झारखंड में चल रही सरकार में राजद और कांग्रेस भी शामिल हैं। झारखंड बिहार से ही निकला हुआ राज्य है, इसलिए दोनों राज्यों की सीमाएं आपस में लगती हैं। ऐसे में सीमावर्ती जिलों में झामुमो के द्वारा अपने प्रभाव का दावा किया जा रहा है। 

कांग्रेस पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने बिहार में अपनी ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ से मिले जन समर्थन को भुनाने का फैसला किया है। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि यात्रा से पार्टी का जो ग्राफ बढ़ा है और कार्यकर्ताओं में जो उत्साह है। उसे बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। इसी वजह से राहुल गांधी और अन्य बड़े नेताओं के लगातार दौरे का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि महागठबंधन में भी कांग्रेस की स्थिति मज़बूत होग। इसलिए पार्टी किसी भी समझौते में सम्मानजनक सीटों से कम पर राजी नहीं होगी। कांग्रेस इस बार गठबंधन में अपनी पकड़ और दबदबा बनाए रखना चाहती है।

वहीं, सूत्रों की मानें तो राजद करीब 135-136 सीटें अपने पास रखना चाहती है। इनमें से लगभग 10 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और रालोजपा (पारस गुट) को दे सकती है। कांग्रेस को 50-52 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, तीन वामदलों को मिलाकर लगभग 34 सीटें दिए जाने की चर्चा है। मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को 18-20 सीटें मिलने की संभावना है। हालांकि, सहनी पहले 60 सीटों की मांग कर चुके हैं।

इस बीच सियासत के जानकारों का मानना है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बहुत ज्यादा नजदीकी है। जब भी गठबंधन में संकट होता है तो लालू यादव सीधे राहुल गांधी या सोनिया गांधी से बात कर लेते हैं। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से लालू प्रसाद जिला में जाकर अपने कार्यकर्ताओं को यह बता रहे हैं कि इस बार तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। ऐसे में यह स्पष्ट हो रहा है कि बैटिंग करना शुरू कर दिए हैं विधानसभा का चुनाव इसी साल होने वाला है। 

उधर, राजद विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने स्पष्ट कर दिया कि इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है और इसका परिणाम बहुत ही अच्छा होने वाला है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी प्रसाद यादव करेंगे।

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