पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य का चुनावी माहौल गर्माने लगा है। बढ़ती बेरोजगारी, विशेष राज्य के दर्जे की मांग, जातीय आरक्षण और मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसे मुद्दे इस बार चुनाव प्रचार के दौरान छाए रह सकते हैं। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन अगले महीने होने वाले इस चुनाव में आमने-सामने होंगे। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राज्य में दो चरणों में मतदान की घोषणा की। पहला चरण छह नवंबर को और दूसरे चरण के लिए मतदान 11 नवंबर को होगा जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजग का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्हें अब भी राज्य की राजनीति में एक दमदार चेहरा माना जाता है।
गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगी दल शामिल हैं। वहीं, विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल (राजद)- कांग्रेस कर रहे हैं, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)-माले-लिबरेशन सहित कई अन्य सहयोगी दल शामिल हैं।
गठबंधन 2020 के विधानसभा चुनाव में अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित है और इस बार सत्ता में वापसी के लिए आक्रामक रुख अपनाए हुए है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनाव मुख्य रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर लड़ा जाएगा, जिनमें मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) एक प्रमुख मुद्दा बनता जा रहा है।
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता लगातार निर्वाचन आयोग पर “वोट चोरी” का आरोप लगाते रहे हैं हालांकि आयोग ने इन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है। विपक्ष का आरोप है कि राज्य में अपराध दर बढ़ी है और प्रशासनिक नियंत्रण कमजोर हुआ है। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन का दावा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है और पुलिस तंत्र प्रभावी ढंग से काम कर रहा है।
राज्य सरकारों द्वारा हाल ही में शुरू की गई कई जनकल्याण योजनाएं राजग के लिए मददगार साबित हो सकती हैं। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गयी योजनाओं में सामाजिक सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और रोजगार से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। वहीं विपक्ष इस बात पर जोर देगा कि नीतीश कुमार सरकार ने कई वादों को पूरा नहीं किया है।
राज्य से लगातार हो रहा श्रमिकों और युवाओं का पलायन इस बार भी बड़ा मुद्दा रहेगा। विपक्षी दल राजग सरकार पर राज्य में पर्याप्त रोजगार अवसर न सृजित करने और युवाओं को बाहर जाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाते रहे हैं लेकिन अब विपक्ष इसी मुद्दे पर राजग को घेरने की तैयारी में है।
विपक्ष का कहना है कि भाजपा के साथ जदयू की लंबे समय की साझेदारी के बावजूद यह मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। राज्य में हाल में हुई जातीय गणना और उसके बाद वंचित वर्गों के आरक्षण में वृद्धि का श्रेय दोनों गठबंधन अपने-अपने पक्ष में लेने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना की मांग के बाद यह मुद्दा “मंडल बनाम कमंडल” की राजनीति को फिर से जीवित कर सकता है, जहां एक ओर सामाजिक न्याय की राजनीति होगी, वहीं दूसरी ओर हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर मतदाता ध्रुवीकरण की संभावना। विश्लेषकों का कहना है कि इस बार का बिहार चुनाव विकास व शासन बनाम सामाजिक न्याय व अवसर की राजनीति के बीच दिलचस्प मुकाबला हो सकता है।