भ्रष्टाचार के गहरे दलदल में बिहार शिक्षा विभाग?, करोड़ों के घोटाले में कई अधिकारी-कर्मचारी के गर्दन पर तलवार लटकी

By एस पी सिन्हा | Updated: May 28, 2025 16:21 IST2025-05-28T16:20:36+5:302025-05-28T16:21:33+5:30

सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक स्कूल में आपूर्ति की गई बेंच और डेस्क की गुणवत्ता की जांच कर रिपोर्ट सौंपें। शिक्षा विभाग ने जोर दिया है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Bihar Education Department deep quagmire corruption Scam worth crores rupees hanging over neck many officers and employees | भ्रष्टाचार के गहरे दलदल में बिहार शिक्षा विभाग?, करोड़ों के घोटाले में कई अधिकारी-कर्मचारी के गर्दन पर तलवार लटकी

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Highlightsखरीद में 18 लाख बेंच और डेस्क शामिल हैं।15 हजार से ज्यादा बेंच और डेस्क की गुणवत्ता खराब है।आपूर्ति करने वाली एजेंसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

पटनाःबिहार में शिक्षा विभाग एक बार फिर भ्रष्टाचार के गहरे दलदल में फंसता दिख रहा है। विभाग में करोड़ों के घोटाले में विभाग कई अधिकारी एवं कर्मचारी के गर्दन पर तलवार लटकी हुई है। शिक्षा विभाग में हुए घोटाले की जांच अगर ईमानदारी पूर्वक किया गया तो करोड़ों में घोटाला होने की बात सामने आयेगी। कहीं कहीं तो धरातल पर ही कार्य नहीं कर मोटा कमीशन लेकर बिल पर अधिकारियों के द्वारा हस्ताक्षर कर बिल निकाल लिया गया है। शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों का तो अभी तक बाल भी बांका नहीं हुआ है। दरअसल, राज्य के सरकारी स्कूलों के लिए 890 करोड़ रुपये के फर्नीचर की खरीद की गई है। इस खरीद में 18 लाख बेंच और डेस्क शामिल हैं। शुरुआती जांच में पता चला कि 15 हजार से ज्यादा बेंच और डेस्क की गुणवत्ता खराब है।

इस मामले को संज्ञान में लेते हुए शिक्षा विभाग ने आपूर्ति करने वाली एजेंसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। साथ ही सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक स्कूल में आपूर्ति की गई बेंच और डेस्क की गुणवत्ता की जांच कर रिपोर्ट सौंपें। शिक्षा विभाग ने जोर दिया है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

साथ ही सभी जिलों को स्कूलों में अतिरिक्त फर्नीचर की आवश्यकता का आकलन कर मुख्यालय को विस्तृत जानकारी देने को कहा गया है। इसी कडी में मोतिहारी शिक्षा विभाग में फर्जी चिट्ठी के जरिए करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया है। सहायक अभियंता ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा अभियान  के कार्यालय का फर्जी पत्रांक इस्तेमाल कर बेंच-डेस्क के नाम पर करोड़ों के भुगतान का षड्यंत्र रचा।

इस खुलासे से पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। वहीं पुलिस शिक्षा विभाग ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि सहायक अभियंता हैदर अली ने 17 मई 2025 को पत्र संख्या 2261 से उप प्रबंधक तकनीकी, बीएसईआईडीसी को पत्र भेजा था। इसमें लिखा गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के तहत सभी असैनिक योजनाओं का भुगतान किया जाना है।

इसके साथ एजेंसीवार 106 की सूची भी भेजी गई। इस पत्र में 6 करोड़ से अधिक रुपए की राशि भुगतान की गई है। इसी तरह लखीसराय जिले में भी शिक्षा विभाग में 35 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं। बताया जाता है कि लखीसराय के कई स्कूलों में असैनिक कार्यों के नाम पर फर्जी तरीके से लाखों रुपये की अवैध निकासी की गई।

ये राशि बिना किसी काम को पूरा किए निकाल ली गई और इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों, अभियंताओं और वेंडरों की मिलीभगत सामने आई है। बताया जा रहा है तकरीबन 30 से 35 करोड़ रुपए के वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आने के बाद उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ को जांच का आदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भी शिक्षा विभाग में वित्तीय अनियमितता को लेकर सवाल उठे थे। वित्तीय अनियमितता पर जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाने की मांग की गई थी। जदयू विधायक संजीव कुमार सिंह ने विधानसभा में दावा किया था कि स्कूलों में बेंच डेस्क, बैग और थाली खरीद में घोटाला किया गया है।

संजीव सिंह ने सदन में बैग दिखाकर सबूत पेश किया था। उन्होंने दावा किया था कि 120 रुपये के बैग को 1200 रु में खरीदा गया। वहीं 30 रुपये की थाली का दाम 70 रुपये बताया गया। इस तरह से शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला किया गया है। यह महज कुछ जिलों का आंकड़ा है। इसी तरह के मामले धिरे-धिरे कई जिलों से सामने आ रहे हैं, जहां गलत तरीके से पैसा निकाल लिया गया है।

खासकर बेंच-डेस्क के नाम पर घोटाले की बात सामने आ रही है। इसबीच राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि करीब 885 करोड़ रुपये की योजना से हाल ही में स्कूलों के लिए सामान की खरीद की गई है। उन्होंने कहा कि कुछ मामले संज्ञान में हैं। स्कूलों में जितने भी सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं, उसकी पीएचईडी विभाग से जांच कराने के लिए कहा गया है।

बेंच-डेस्क खरीद की जांच के लिए भी सभी डीएम को पत्र लिखा गया है। किशनगंज जिले में जांच के बाद दोषी अफसर पर कार्रवाई भी की गई है। सुनील कुमार ने कहा कि कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को बैग के साथ पानी की बोतल और पेंसिल बाक्स देना है।

एक बैग की कीमत 1200 या एक हजार नहीं बल्कि 500 रुपये है। उन्होंने कहा कि समान रूप से हर जगह गड़बड़ी हुई है, यह सही नहीं है। बेंच-डेस्क से लेकर सबमर्सिबल पंप तक जिसे जिले में भी गड़बड़ी होगी, उसकी जांच कराई जाएगी। दोषी बख्शे नहीं जाएंगे।

Web Title: Bihar Education Department deep quagmire corruption Scam worth crores rupees hanging over neck many officers and employees

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