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Bihar Education Department: 50000 रुपये तक की राशि सीधे स्कूल खाते में, 1 अप्रैल से सारे वित्तीय अधिकार छिने?, अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने कसे नकेल

By एस पी सिन्हा | Updated: February 10, 2025 15:40 IST

Bihar Education Department: भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। एसीएस एस. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया कि यह कदम भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।

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ठळक मुद्देसिविल वर्क का काम पूरी तरह निगम के जरिए किया जाएगा।आउटसोर्सिंग व्यवस्थाएं समाप्त हो जाएंगी और स्टाफ को हटा दिया जाएगा।केके पाठक के कार्यकाल में इनकी नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम से हुई थी।

पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस. सिद्धार्थ ने पूर्व अपर मुख्य सचिव के.के पाठक के फैसले को बदल दिया है। अब सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) के वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। 1 अप्रैल से किसी भी डीईओ को कोई वित्तीय अधिकार नहीं होगा, वे केवल शैक्षणिक कार्यों की निगरानी कर सकेंगे। के के पाठक के समय में वित्तीय अधिकार सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया गया था। बता दें कि जब से शिक्षा विभाग के नए एसीएस डा. एस. सिद्धार्थ बने हैं वो के के पाठक के कई फैसलों को बदल रहे हैं। एस. सिद्धार्थ ने निर्देश दिया है कि 50,000 रुपये तक की राशि अब सीधे स्कूलों के खाते में भेजी जाएगी। स्कूलों के प्रधानाध्यापक को कार्यों के लिए सीधे विभाग को पत्र भेजना होगा, जबकि सिविल वर्क का काम पूरी तरह निगम के जरिए किया जाएगा।

31 मार्च से सभी आउटसोर्सिंग व्यवस्थाएं समाप्त हो जाएंगी और आउटसोर्सिंग स्टाफ को हटा दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने डीपीएम (जिला कार्यक्रम प्रबंधक) और बीपीएम (ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक) की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लिया है। पूर्व एसीएस केके पाठक के कार्यकाल में इनकी नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम से हुई थी।

लेकिन इनके खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। एसीएस एस. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया कि यह कदम भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है। उन्होंने एक नया कंट्रोल रूम भी बनाया है, जहां 500 से 600 से अधिक शिकायतें प्राप्त होने के बाद यह निर्णय लिया गया।

शैक्षणिक सुधार कार्यक्रम के तहत, बिहार के सरकारी स्कूलों में डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था लागू होगी। 1 अप्रैल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी का भी उपयोग शुरू होगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत, पहले चरण में बिहार के छह जिलों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस प्रणाली लागू की जाएगी। सरकारी स्कूलों में हाउसकीपिंग का कार्य भी अब जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) के अधीन नहीं रहेगा।

यह काम अब निगम को सौंप दिया गया है। पहले आउटसोर्सिंग के जरिए डीपीएम और बीपीएम की नियुक्ति की गई थी, लेकिन रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की शिकायतों के कारण इसे समाप्त करने का निर्णय लिया गया। बिहार के सरकारी स्कूलों में 31 मार्च के बाद बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। यह फैसला शिक्षा में सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।

टॅग्स :बिहारनीतीश कुमारपटना
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