पटनाः बिहार के दो कड़क आईपीएस अधिकारियों के बीच शुरू हुआ विवाद अब धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। होमगार्ड एवं अग्निशमन सेवाओं की डीजी शोभा अहोतकर ने होमगार्ड के आईजी विकास वैभव से उनके सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
बता दें कि आईजी विकास वैभव ने 2 महीने की छुट्टी मांगी थी। डीजी शोभा अहोतकर ने उनके छुट्टी के आवेदन को खारिज कर दिया है। उसके बाद उन्हें नोटिस थमा दिया गया है। डीजी शोभा अहोतकर की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि विकास वैभव द्वारा किया गया ट्वीट वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने डीजी से गाली सुनने की बात कही है।
इस शो कॉज नोटिस में लिखा गया है कि 'दिनांक 09.02.2023 की सुबह आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यथा ट्विटर, व्हाट्स एप इत्यादि पर आपके ट्विटर हैंडल से किया गया ट्वीट वायरल हो रहा है। ट्विटर पर आपके द्वारा किए गए ट्वीट की प्रति इस पत्र के साथ संलग्न है। उक्त ट्विटर मैसेज में लिखा गया है कि आप डीजी रैंक की महिला अधिकारी से गालियां ही सुन रहे हैं।
उक्त तथ्यों के समर्थन में आपने यह भी लिखा है कि आपके द्वारा रिकॉर्ड भी किया गया है।' ये एक्टिविटी कई प्रावधान का उलंल्घन है। इसके लिए आप जवाब दें। आपने हमारी छवि को धूमिल करने की कोशिश की है। डीजी होमगार्ड ने नोटिस में कहा है कि आईजी विकास वैभव ने अपने वरीय अधिकारी पर बेबुनियाद आरोप लगा कर उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की है।
उनकी ये हरकत अखिल भारतीय सेवा आचार नियमावली 1968 के नियमों का उल्लंघन है। पत्र में कुछ धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि कोई भी अधिकार अपनी ड्यूटी के दौरान हुई बात को गोपनीय रखेगा। शोभा अहोतकर ने ये भी कहा है कि विकास वैभव कह रहे हैं कि उनके पास गाली गलौज की रिकार्डिग है।
इससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने कार्यालय की बैठकों की रिकार्डिग की। ये भी सेवा शर्तों का उल्लंघन है। इसलिए वे 24 घंटे में जवाब दें कि उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की जाये। बता दें कि इससे पहले विकास वैभव ने दो महीने की छुट्टी मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक पिछले सोमवार को ही उन्होंने दो महीने की छुट्टी का आवेदन भेज दिया था।
होमगार्ड आईजी से चिढ़ी हुई डीजी शोभा अहोतकर ने उनकी छुट्टी मंजूर करने की जगह बिहार गृह विभाग के पास भेज दिया। ऐसे में अब विकास वैभव ने इस ट्विट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है। छुट्टी नही मिलने के बाद अपने दूसरे ट्विट में विकास वैभव ने लिखा है कि "क्वचित् सर्पोऽपि मित्रत्वमियात् नैव खलः क्वचित्। न शोषशायिनोऽप्यस्य वशे दुर्योधनः हरेः॥" अर्थात - "कभी-कभी सर्प भी मित्र बन सकता है, किन्तु दुष्ट को कभी मित्र नहीं बनाया जा सकता । शेषनाग पर शयन करने वाले हरि का भी दुर्योधन मित्र न बन सका !"