पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा की जा रही विपक्षी एकता की पहल को लेकर कांग्रेस उलझन में दिख रही है। दरअसल, समस्या यह है कि वह किसके साथ जाए और किसके साथ नही जाए। कई राज्यों में उसे वहां के दलों से टकराव की स्थिति है।
हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ महागठबंधन करने की इच्छुक जरूर है, लेकिन उसके लिए विपक्षी एकता की राह आसान नहीं है। इसी कारण वह पटना में 12 जून को होने वाली विपक्षी दलों की मैराथन बैठक को लेकर असमंजस की स्थिति में है। कांग्रेस ने बैठक में शामिल होने की सहमति जरूर जता दी है।
पर वह अभी तक यह नहीं तय कर पायी है कि पार्टी के कौन नेता बैठक में शामिल होंगे। दरअसल, विपक्षी एकता को लेकर यह बेहद अहम बैठक होगी। इसमें विपक्ष के तमाम बड़े नेता करीब पांच घंटे तक मंथन कर लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए अपनी रणनीति तय करेंगे। जाहिर है इस दौरान आपस में सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा होगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस जल्दीबाजी में सीटों के बंटवारे का कोई फार्मूला तय करने के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि यह पहली औपचारिक बैठक है। इसमें पहले इस बात पर सहमति बननी चाहिए कि हम एक साथ लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इसके बाद पार्टियों के बीच जो मतभेद हैं, उसे दूर किया जाना चाहिए।
उसके बाद सीटों के बंटवारे पर बात होनी चाहिए। लेकिन कई पार्टियां पहले सीटों का बंटवारा चाहती हैं। असल में कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि कई राज्यो में उसका सीधा मुकाबला सहयोगी दलों के बीच रहा है। इसलिए कांग्रेस प्रदेश संगठनों से विचार कर सीट बंटवारे पर निर्णय लेना चाहती है। कांग्रेस में नीतिगत निर्णय पार्टी आलाकमान ही लेता है।
आलाकमान में पार्टी नेता राहुल गांधी व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे शामिल हैं। बैठक में भाग लेने के लिए राहुल और खडगे दोनों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन अब यह तय हो गया है कि दोनों नेता इस बैठक में शामिल नही होंगे। हालांकि बैठक की तिथि कांग्रेस के उक्त दोनों नेताओं से बातचीत के बाद ही 12 जून तय की गई थी।
राहुल खुद भी विपक्ष की एकजुटता के पक्षधर रहे हैं और उनसे मुलाकात के बाद ही नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के लिए मुहिम की शुरुआत की थी। राहुल ने अपने विदेश दौरे में भी विपक्षी एकता पर जोर देते हुये कहा है कि देश में सारे विरोधी द्ल एकजुट हो रहे हैं। उन्होने यह भी स्वीकार किया है कि कुछ राज्यों में सीटों को लेकर पेंच जरुर है, लेकिन उसका समाधान समय रहते कर लिया जायेगा।