पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच महागठबंधन सीटों के बंटवारे के किसी निष्कर्ष पर अभी तक नहीं पहुंच पाई है। हालांकि विपक्षी दलों के गठबंधन ने घोषणा की है कि 15 सितंबर तक सीटों के बंटवारे का औपचारिक ऐलान कर दिया जाएगा। शनिवार को पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस पर व्यापक सहमति बनी है। इस बैठक में राजद, कांग्रेस, वामपंथी दल, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोसपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।
सूत्रों के मुताबिक, अब पशुपति पारस की रालोजपा और हेमंत सोरेन की जेएमएम भी महागठबंधन का हिस्सा बनेगी। बता दें कि महागठबंधन में वर्तमान समय में राजद और कांग्रेस के अलावा मुकेश सहनी की वीआईपी और वामदल शामिल हैं। झामुमो और रालोजपा भी महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार चुनाव लड़ने का प्रयास कर रहे थे।
इसे लेकर मतदाता अधिकार यात्रा में हेमंत सोरेन शामिल हुए थे। इस दौरान हेमंत सोरेन ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया था और बिहार की जनता से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की अपील की थी। वहीं कुछ दिन पशुपति पारस ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी। उस वक्त पारस ने तेजस्वी से महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
महागठबंधन में अभी 6 दल हैं। झामुमो और रालोजपा के जुड़ने से दलों की संख्या 8 हो जाएगी। चर्चा है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे का भी फॉर्मूला तैयार कर लिया गया है। बता दें कि पिछली बार राजद ने 144 सीटों पर और कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में वामदलों को 29 सीटें मिली थीं।
उस वक्त वीआईपी महागठबंधन का हिस्सा नहीं थी। इस बार वीआईपी 60 सीटों पर दावा कर रही है तो वहीं वामदलों की ओर से 40 सीटों की डिमांड है। ऐसे में नए दलों के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला कैसे निकाला जाएगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
वहीं, बैठक के बाद, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने पत्रकारों को बताया कि चर्चा सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और सभी घटक दलों ने सीटों के बंटवारे पर अपनी सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि इस बार पिछले चुनावों की गलतियों से सबक लेते हुए, गठबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि हर दल अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में ही उम्मीदवार उतारे, जिससे जीत की संभावना बढ़े।
राजेश राम ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ की सफलता से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों की सीटों पर दावा करेगी। वहीं, बिहार प्रभारी अल्लावरु ने बातचीत को ‘सार्थक’ बताया।
सीटों की संख्या से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन में नए सहयोगी दल जुड़ रहे हैं, और उन्हें समायोजित करने के लिए सभी दलों को अपने हितों का त्याग करना होगा। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस के 70 सीटों पर अपने दावे की पुष्टि नहीं की।
उन्होंने जोर देकर कहा कि गठबंधन में सीटों का बंटवारा तार्किक और संतुलित तरीके से होगा। अल्लावरु ने कहा कि ऐसा नहीं होगा कि एक पार्टी को केवल ‘अच्छी’ सीटें मिलें और दूसरी को ‘बुरी’। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि सभी को उचित प्रतिनिधित्व मिले।