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बिहार में नहीं थम रहा चमकी बुखार का कहर, मासूमों की मौत का आंकड़ा 179 तक जा पहुंचा

By एस पी सिन्हा | Updated: June 22, 2019 18:54 IST

आज भी एसकेएमसीएच में 15 नए बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. एईएस के तय प्रोटोकॉल के तहत इनका इलाज किया जा रहा है. इस बिमारी से बिहार के 16 जिले प्रभावित हैं. बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है?

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बिहार में चमकी बुखार का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है और मौत का आंकड़ा भी रुक नहीं रहा है. आज सुबह तक पूरे राज्य में इस बीमारी की वजह से मरने वालों का आंकडा 179 तक पहुंच गया है. वहीं करीब 650 से अधिक मरीज प्रभावित हुए हैं. इनमें सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 129 बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. वहीं एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में 131 बच्चे इलाजरत हैं. 

प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले में ही अब तक 580 बच्चे बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं. इस तरह से चमकी बुखार का प्रकोप जारी है. तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों की मौत नहीं थम रही है. आज 21वें दिन इलाज के दौरान चमकी बुखार से एसकेएमसीएच में 6 और बच्चों की मौतें हुई हैं. इसी के साथ मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 179 हो गई है. चमकी बुखार से बच्चों की मौत की संख्या तो बढ़ ही रही है, नए मरीजों की संख्या में भी कमी नहीं आ रही है.

आज भी एसकेएमसीएच में 15 नए बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. एईएस के तय प्रोटोकॉल के तहत इनका इलाज किया जा रहा है. इस बिमारी से बिहार के 16 जिले प्रभावित हैं. बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है? लेकिन कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है. हालांकि कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है. मुजफ्फरपुर लीची के लिए खासा मशहूर है. हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने हालिया हफ्तों में लीची नहीं खाई है. जबकि डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं.वहीं, दिल्ली से पटना पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने आज एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जिस तरह से चमकी बुखार ने सैकड़ों बच्चों की जान ली है, निश्चित तौर पर इस पर शोध करने की जरूरत है. इस बीमारी पर शोध करने के लिए मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर से मुजफ्फरपुर का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा कि लोगों के बीच में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. यह काम भी हमारी सरकार करेगी.

उन्होंने कहा कि अगले साल इस तरह की महामारी न फैले, इसके लिये हमारा प्रयास जारी रहेगा. स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि बच्चों के लिए विशेष अस्पताल की व्यवस्था भी बिहार के सभी जिलों में की जाएगी. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ये काम करेगी. इस दौरान मंत्री अश्विनी चौबे ने कई जिलों में जांच लैबोरेट्री भी खोलने की बात कही. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द मुजफ्फरपुर में 100 बेड के आईसीयू का निर्माण होगा. सभी जिलों में एनआईसीयू का निर्माण कराया जाएगा.

इसबीच, भाजपा छोड़ कांग्रेस में शमिल हुए पटना से पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और लू से हुई मौतों के लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर इसे बिहार के लिए अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी बताया.

टॅग्स :चमकी बुखारबिहारनीतीश कुमार
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