पटनाः बिहार में आज यानी 7 जनवरी से जातीय गणना शुरू हो गई है। इसको लेकर आज अहले सुबह पटना में जिलाधिकारी डा. चंद्रशेखर ने बैंक कॉलोनी से इसकी शुरुआत कराई। जिलाधिकारी ने बताया कि राज्य के अंदर दो चरणों में गणना किया जाएगा। इसमें पहले चरण में मकान की गणना शुरू हो रही है।
इस दौरान राजधानी पटना के बड़े-बड़े अपार्टमेंट के आगे निशान लगाया जा रहा है। इसके साथ ही इस अपार्टमेंट में बनें मकानों की भी अलग से गणना की जाएगी। दूसरा चरण अप्रैल माह में होना है। अभी गणना की डाटा एंट्री की जाएगी। जो एप बन रहा है, उसमें पहले से डाटा एंट्री रहेगी। परिवार के मुखिया का नाम इसमें रहेगा।
मकान का नंबर कितना है ये सब चीजें रहेंगी। उसी ऐप से गणना कर्मी आगे की गणना करेंगे। जो बाहर रह रहे हैं या जिनके घर नहीं हैं उनकी गणना का भी इंतजाम किया गया है। इसको सेकंड फेज में करेंगे। उन्होंने बताया कि राजधानी पटना में लगभग 20 लाख परिवार की गिनती की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि बिहार में जाति आधारित गणना के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। यह राशि बिहार आकस्मिकता निधि से दिया जाएगा। पहले चरण में बिहार जाति आधारित गणना में 4 भाग में फॉर्म को भरा जाएगा।
पहले में जिला का नाम और उसका कोड दिया गया है। फिर प्रखंड, नगर निकाय का नाम और उसका कोड दिया गया है। पंचायत का नाम और उसका कोड है। वार्ड संख्या उसका कोड है और गणना ब्लॉक नंबर और उप-ब्लॉक नंबर को भरना अनिवार्य है। इसके बाद जिनके स्थायी आवास है।
उस मकान सूची के लिए 10 कैटेगरी में सवाल पूछे जाएंगे। जाति आधारित गणना करने को लेकर बिहार में 2 लाख शिक्षकों को इस काम में लगाया गया है। वे अपने - अपने इलाकों में जाकर वहां रह रहे लोगों की जानकारी इकठ्ठा करेंगे और इसको लेकर इनको ट्रेनिंग भी करवाई गई है।