पटनाः बिहार में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसी क्रम में भाजपा के संसदीय बोर्ड ने पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। उनके सहयोग के लिए केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को केंद्रीय सह-पर्यवेक्षक बनाया गया है। इन पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें नेता के नाम पर मुहर लगाई जाएगी।
वहीं, नई सरकार के गठन को अंतिम रूप देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को पटना आ रहे हैं। पटना पहुंचने के बाद वह पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं की मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात होगी और सरकार गठन को लेकर बातचीत होगी। इसके पहले मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सुबह सुबह अमित शाह के आवास पर पहुंचे।
वहीं जदयू में मंत्रियों के नाम और विधानसभा अध्यक्ष का पद किस दल को जाए इस पर बात करने के लिए केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा सोमवार रात ही चार्टर्ड विमान से दिल्ली पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट के गठन और मंत्री पदों की हिस्सेदारी को लेकर ललन सिंह व संजय झा भाजपा नेतृत्व से विस्तृत चर्चा हुई।
इससे पहले रविवार को भी उनकी शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार में बराबर की हिस्सेदारी पर जदयू और भाजपा के बीच खींचतान जारी है। सबसे बड़ा विवाद विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर है। जदयू इसे अपने पास रखना चाहता है और बदले में विधान परिषद के सभापति का पद भाजपा को देने की पेशकश कर रहा है।
जबकि भाजपा दोनों पद अपनी झोली में चाहती है। उधर, अमित शाह के आगमन से राज्य में सत्ता हस्तांतरण और नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। उनकी उपस्थिति न केवल गठबंधन की एकजुटता को दर्शाएगी, बल्कि आगे की राजनीतिक रणनीति के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बता दें कि नीतीश कुमार 20 नवम्बर को पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वे 10 वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। वर्ष 2005 से बिहार के मुख्यमंत्री पद मौजूद नीतीश कुमार देश में सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनने की शपथ लेने वाले नेता है। सूत्रों के हवाले से भाजपा के 15 से 16 विधायक मंत्री बन सकते हैं।
इसके अलावे जदयू से 14 मंत्री बन सकते हैं। वहीं चिराग पासवान की लोजपा(रा) को 3 मंत्री पद मिल सकता है। जबकि जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो के एक विधायक मंत्री बन सकते हैं। मंत्रिमंडल गठन में जातीय समीकरणों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एनडीए ने 202 सीट जीतकर ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। भाजपा को 89 सीटें मिलीं तो जदयू को 85 सीटों पर सफलता मिली है। चिराग की लोजपा(रा) को 19, मांझी की हम को पांच तो उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो से 4 सीटों पर सफलता मिली।
वहीं, विपक्ष में राजद के 25 तो कांग्रेस के 6 उम्मीदवार जीतकर आए। भाकपा-माले के तीन और माकपा के एक विधायक जीते हैं। जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने फिर से पांच सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल किया है तो मायावती कि बहुजन समाज पार्टी(बसपा) का एक उम्मीदवार जीतकर आया है।