बिहार: भाजपा वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी से है नाराज, हो सकती है नीतीश मंत्रिमडल से छुट्टी
By एस पी सिन्हा | Updated: February 27, 2022 19:19 IST2022-02-27T19:16:05+5:302022-02-27T19:19:43+5:30
नीतीश मंत्रीमंडल से मुकेश सहनी को हटाकर उनकी जगह उन्हीं की वीआईपी पार्टी से किसी अन्य विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। यही नहीं खबरें तो यहां तक आ रही है कि भाजपा मुकेश सहनी को दोबारा विधान परिषद में जगह न दिये जाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।

बिहार: भाजपा वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी से है नाराज, हो सकती है नीतीश मंत्रिमडल से छुट्टी
पटना: वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को बिहार में नीतीश मंत्रिमडल से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ उनके द्वारा विष वमन किये जाने से भाजपा में खासी नाराजगी देखी जा रही है। भाजपा की नाराजगी के कारण सहनी की नैया बीच मझधार में हिचकोले खा रही है।
सूत्रों के मुताबिक नीतीश मंत्रीमंडल से मुकेश सहनी को हटाकर उनकी जगह उन्हीं की वीआईपी पार्टी से किसी अन्य विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। यही नहीं खबरें तो यहां तक आ रही हैं कि मुकेश सहनी को दोबारा विधान परिषद में जगह न दिये जाने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार यूपी चुनाव में मुकेश सहनी के रवैये को लेकर बिहार भाजपा में भारी नाराजगी है। मुकेश सहनी यूपी चुनाव में लगातार भाजपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में भाजपा एक अलग रणनीति पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार अब मुकेश सहनी की जगह वीआईपी पार्टी की ही विधायक स्वर्णा सिंह या मिश्री लाल को नीतीश सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है।
गौराबौराम से वीआईपी की विधायक स्वर्णा सिंह भाजपा के पूर्व विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह की बहू हैं। कोरोना काल में सुनील कुमार सिंह की मृत्यु हो गई थी। भाजपा ने वीआईपी पार्टी से उनकी बहू स्वर्णा सिंह को गौराबौराम से टिकट दिलवा दिया था। जिसके बाद वह विधायक बन गई थीं।
इसके साथ ही दरभंगा के अलीनगर से भाजपा ने मिश्री लाल यादव को वीआईपी से टिकट दिलवा कर विधायक बनाया था। 2020 के बिहार चुनाव से पहले मिश्री लाल यादव भाजपा के टिकट से 2015 के चुनाव में अलीनगर से चुनाव लडे थे लेकिन वह राजद के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्धकी से चुनाव हार गये थे। लेकिन साल 2020 के बिहार चुनाव में मिश्री लाल यादव वीआईपी पार्टी के कोटे से विधायक बनने में सफल हो गये थे
इसी तरह वीआईपी के विधायक राजू कुमार सिंह को भाजपा ने साल 2015 में अपने चुनाव चिन्ह पर साहेबगंज सीट से चुनाव लड़वाया था। इस तरह से ये तीनों ही विधायक भाजपा से ही जुड़े रहे हैं।
ऐसे में यह कहा जा रहा है कि मौका मिलते ही मुकेश सहनी की पार्टी के यह तीनों विधायक पाला बदल सकते हैं। उसी तरह से भाजपा मुकेश सहनी को दोबारा विधान परिषद में भेजने को तैयार नहीं है।
विधान पार्षद के तौर पर मुकेश सहनी का टर्म 18 महीने का था, जो इस साल के जुलाई में खत्म हो रहा है लेकिन अब भाजपा उन्हें दुबारा विधान परिषद में भेजने के मूड में नहीं है। शायद यही कारण है कि मुकेश सहनी ने भी इसी कारण यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उस वजह से भाजपा यूपी चुनाव में खुद को असहज महसूस कर रही है।
दरअसल, मुकेश सहनी की मांग है कि सहनी यानी मल्लाह समाज को आरक्षण मिलना चाहिए। वह इसको अब राजनीतिक रूप से मुद्दा बनाना चाहते हैं। इसी प्रयास में वह उत्तर प्रदेश गए। लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा ने उनको घास तक नहीं डाली।
हालांकि मुकेश सहनी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। वह सिर्फ भाजपा के खिलाफ यह बोल रहे हैं। कहा जा रहा है कि विधान परिषद में दोबारा भेजने के लिए ही मुकेश सहनी भाजपा के ऊपर दबाव बनाना चाहते हैं। इसी को लेकर वह लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, जो कि भाजपा के नेताओं को रास नहीं आ रहा है।